Pind Daan: सिर्फ गया ही नहीं, इन जगहों पर भी पिंडदान करने से होगी मोक्ष की प्राप्ति
Pitra Puja: पिंडदान करवाने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति मिलती है और घर में शांति आती है. पिंडदान देश के कुछ खास धार्मिक स्थलों पर ही करवाया जाता है. आइए जानते हैं कि कहां-कहां पिंडदान किया जा सकता है.
Pind Daan Places: श्राद्ध पक्ष एक ऐसा महीना होता है जो पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित होता है. पितृ पक्ष में अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंड दान किया जाता है. भारत में पिंड दान के लिए गया मशहूर है. श्राद्ध पक्ष में पू्र्वजों की शांति के लिए बिहार के बोधगया में पिंडदान करने के लिए देश भर से लोग जाते हैं. बोधगया के अलावा भी कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां पिंडदान किया जाता है.
गया का महत्व
गया में पिंड दान करने का बहुत महत्व है. माना जाती है कि इसी जगह माता सीता ने राजा दशरथ के पिंडदान किए थे. एक मान्यता के अनुसार सीता जी ने अकेले पिंडदान किए, लेकिन राम-लक्ष्मण ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया. विश्वास दिलाने के लिए मां सीता ने सरस्वती नदी से पूछा जब उसने कोई जबाव नहीं दिया तो सीता जी ने नदी को लुप्त होने का श्राप दे दिया. आज भी ये नदी लुप्त रहती है. गया में ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, गौतम बुद्ध के ज्ञान प्राप्त होने की वजह से ही इसे बोधगया कहा जाता है.
वाराणसी (Varanasi)
वाराणसी को तो मोक्ष की नगरी ही माना जाता है. वाराणसी में पिंड दान की पूजा विधिपूर्वक तरीके से करवाई जाती है. यहां पंडित हवन-अनुष्ठान के साथ पिंड दान करवाते हैं. वाराणसी में पूजा के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन जरूर करें.
हरिद्वार (Haridwar)
हरिद्वार बहुत ही पवित्र जगह है जहां गंगा नदी किनारे पितरों का तर्पण किया जाता है. हरिद्वार में कई विद्वान मिल जाएंगे जो पितरों की मोक्ष प्राप्ति की पूजा विधिपूर्वक करवा देंगे. पिंडदान के बाद आप गंगा किनारे आरती और मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं.
उज्जैन (Ujjain)
महाकाल की नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे पिंडदान करवाया जाता है. पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति की पूजा करवाने के बाद बाबा महाकाल के दर्शन करना न भूलें, महाकाल बारहवे ज्योतिर्लिंग हैं. उज्जैन के पास में ओंकारेश्वर और महेश्वर जैसी जगह हैं जहां नर्मदा नदी है.
कहां जाना है सबसे अच्छा
सभी धार्मिक जगह अच्छे तरीके से पिंडदान हो जाएगा. इन दिनों गया में सबसे ज्यादा भीड़ रहती है इसलिए पंडित भी ज्यादा दक्षिणा ले सकते हैं. इसलिए अपने हिसाब से सोच समझकर जगह का चुनाव करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)