Bhishma Pledge: पुरानी दुश्मनी का बदला लेने के लिए त्रिगर्तदेश के राजा सुशर्मा ने राजा विराट की गायों को छीनने के लिए आक्रमण किया तो दूसरी ओर से कौरवों ने भी हमला बोल कर गायों को छीन लिया. इस स्थिति को देख गौशाला के प्रधान गोपालक ने राजा के दरबार में पहुंच कर बताया कि करीब एक लाख गायों को छीन लिया गया है. इस पर मत्स्य देश के वीरों की सेना चल पड़ी. राजा विराट  ने अपने छोटे भाई शतनीक को नेतृत्व करने के लिए भेजा और खुद भी शस्त्र धारण कर चल पड़े. भयंकर युद्ध हुआ,जिसमें विराटनगर में अज्ञातवास कर रहे पांडवों को भी शामिल किया गया. जब मत्स्यराज विराट अपनी गायों को छुड़ाने के लिए त्रिगर्तदेश की ओर गए थे, तभी दुर्योधन ने भीष्म, द्रोण, कर्ण, कृप, अश्वत्थामा, शकुनि के साथ विराटनगर पर आक्रमण कर दिया और साठ हजार गायों को रोक लिया. इस पर मुख्य ग्वाले ने राजकुमार को सारी बात बताते हुए सुरक्षा करने को कहा. इस पर राजकुमार उत्तर वृहन्नला रूप धारी अर्जुन को सारथी बना सेना की टुकड़ी लेकर नगर के बाहर आया. कौरवों की विशाल सेना देखकर राजकुमार उत्तर घबड़ा गया और वापस चलने को कहने लगा.


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भारी सेना देख उत्तर के वापस चलने पर वृहन्नला ने दिया असली परिचय 


इन स्थितियों को देख वृहन्नला रूपी अर्जुन रथ से नगर के बाहर एक शमी वृक्ष के निकट पहुंचे और राजकुमार से पेड़ में बंधी एक गठरी को उतारने के लिए कहा. गठरी उतारने के बाद अर्जुन ने अपने वस्त्र पहने और शस्त्रों का आह्वान किया और तो सारे शस्त्र स्वतः उपस्थित हो गए. अब उन्होंने अपना असली परिचय राजकुमार उत्तर को दिया और सारथी बनने का आदेश भी दिया. कुछ ही देर में अर्जुन अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर कौरवों की विशाल सेना के सामने पहुंच गए.


उत्तर के स्थान पर अर्जुन को देख विचलित हुए कौरव महारथी


राजकुमार उत्तर के स्थान पर युद्ध के लिए अर्जुन को देखकर कौरव सेना के महारथी विचलित हो गए और तरह-तरह की बातें करने लगे. अर्जुन से युद्ध करने को लेकर कौरव महारथियों में विवाद होने लगा. इस पर पितामह भीष्म ने कहा कर्ण तो हर समय क्षत्रिय धर्म के अनुसार केवल युद्ध की ही बात करता है. जब अर्जुन हमारे सामने आ ही गया है तो अब यह आपस में विरोध करने का अवसर नहीं है. बुद्धिमानों ने सेना से संबंध रखने वाले जितने भी दोष बताए हैं, उनमें आपस की फूट सबसे बढ़कर है.



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