Buddha Ashti Kalash In Vaishali: गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 में हुआ था और 528 ईसा पूर्व वैशाख पूर्णिमा को ही बोधगया में एक वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ऐसा माना जाता है कि कुशीनगर में 80 साल की उम्र में उन्होंने देह त्याग दी थी. बताया जाता है कि 2500 साल पहले गौतम  बुद्ध के देह त्यागने पर उनके शरीर के अवशेषों को आठ भागों में विभाजित किया गया था. 


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इन आठ स्थानों पर 8 स्तूप बनाए गए . 1 स्तूप उनकी राख और एक स्तूप उस घड़े पर बना था जिसमें अस्थियां रखी. अब इन अस्थियों को एक बार फिर से इनके मूल स्थान मुजफ्फरपुर के वैशाली में स्थापित किया जाएगा. बता दें कि फरवरी में आयोजित हुए श्रीलंकाई मंदिर जय श्री महाविहार का 17वां वार्षिक उत्सव मनाया गया था, जहां पर भगवान बुद्ध की रखी पवित्र अस्थि कलश को श्री लंका से लाया गया था. 



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कहां-कहां रह चुका है कलश 


बताया जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध की अस्थियों को ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1937 में महियंगम स्तूप से खुदाई के दौरान प्राप्त किया गया था. वहीं, उनके दोनों की शिष्यों महामोग्गलान और सारिपुत्त की अस्थियां सांची के स्तूप संख्या तीन से मिली थी. बाद में इन अस्थि कलश को लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय में रखा गया था. बता दें कि महाबोधि सोसायटी के प्रयास से 14 मार्च 1947 को इन अस्थियों को श्री लंका भेजा गया था और 12 जनवरी 1949 में इन्हें फिर से भारत लाया गया. बोधगया में कोलकाता स्थित मुख्यालय में इन अस्थियों को रखा गया था. लेकिन अह मुजफ्फरपुर के वैशाली में इन्हें एक बार फिर मूल स्थान पर ही स्थापित कर दिया जाएगा. 


इतने एकड़ में बनेगा संग्राहलय


विश्व के पहले गणतंत्र बिहार के वैशाली में इस साल भगवान बुद्ध का अस्थि कलश स्थापित होने जा रहा है. ये कलश विश्व का पहला ऐसा कलश होगा, जो अपने मूल स्थान पर फिर से वापस लौटेगा. बता दें कि प्रसिद्ध अभिषेक पुष्करणी तालाब के पास निर्माणाधीन बुद्ध स्मृति स्तूप और बुद्ध सम्यक संग्राहलय ने आकार लिया है. संग्राहलय समेत 5 भवन बन चुके हैं और इस साल के सितंबर-अक्टूबर तक इसका उद्घाटन हो जाएगा. बताया जा रहा है कि बुद्ध स्मृति स्तूप के लिए वैशाली जिले में 72 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है और 300 करोड़ का बजट पास हुआ था. सन 2019 से इसका निर्माण शुरू हुआ था. 



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