Chaitra Navratri Astami and Navami: साल 2023 में नवरात्रि को 22 मार्च को शुरु हुई थी और इसका समापन 30 मार्च को होगा. नवरात्रि के 9 दिनों तक माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है.  नवरात्रि में दो दिन बहुत ही खास माने जाते है, अष्टमी और नवमी. लेकिन कभी आपने सोचा है कि अष्टमी और नवमी को अलग-अलग दिन क्यों मनाई जाती है. 


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नवरात्रि की अष्टमी और नवमी की पूजा दोनों दिन की जाती है, इस पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं. मान्यता है कि इसी समय देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और  मुंड का वध कर दिया था. प्राचीन समय में संधि पूजा के समय देवी दुर्गा को पशु बलि चढ़ाई जाने की परंपरा तो अब बंद हो गई है और उसकी जगह भूरा कद्दू या लौकी को काटा जाता है. कई जगहों पर केला, कद्दू और ककड़ी जैसे फल और सब्जी काट कर बलि दी जाती है. 


क्यों मनाते हैं महाअष्टमी 


नवरात्रि में अष्टमी को सबसे शुभ माना जाता है. अष्टमी पर मां दुर्गा के रूप यानी गौरी की पूजा होती है. जिन्होंने कड़ी तपस्या करके गौरर्ण प्राप्त किया और महागौरी के नाम से संपूर्ण जगत में प्रसिद्ध हुई.  इसलिए अष्टमी को महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. महाअष्टमी के दिन छोटी कन्याओं का पूजन करके भोजन करवाया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है. 


क्यों मनाते हैं महानवमी 


महानवमी के दिन मां सिद्धरात्री का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से नवमी के दिन देवी के इस रूप की पूजा करता है वह सभी सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है. और उसके सभी काम सिद्ध हो जाते हैं. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)