Mahishasura Mardini: महिषासुर की अधिसंख्य सेना नष्ट होने पर उसका सेनापति चिक्षुर क्रोध में आ गया और मां भगवती पर जबरदस्त हमला कर दिया. उसके भयंकर हमले के विरोध में देवी ने अपने बाणों से उसके घोड़े और सारथी को मार डाला. इसके बाद उसके धनुष को भी काटकर उसे बाणों से बींध दिया, अन्य असुर उनकी ओर दौड़े तो तीन नेत्रों वाली परमेश्वरी देवी ने उन सबको भी मारकर यमलोक पहुंचा दिया. 


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अपनी सेना और प्रमुख असुरों सहित सेनापति के मरने से क्रोधित हो महिषासुर ने भैंसे का रूप रखकर देवी के गणों को घायल करना शुरू कर दिया. उनके गणों को बुरी तरह घायल करने के बाद देवी के सिंह की ओर झपटा. उस महादैत्य को अपनी ओर आता देख कर महादेवी का क्रोध भी चरम पर पहुंच गया और उन्होंने पाश फेंककर उस असुर को बांध दिया तो उसने भी पैंतरा बदला और भैंसे से सिंह रूप में आ गया. 


दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय में लिखा है कि महिषासुर को अपनी तलवार से काटने के लिए जैसे ही जगदम्बा उसकी ओर आगे बढ़ीं. वह शेर से पुरुष के रूप में सामने आ गया. देवी ने भी त्वरित गति से उस पर बाणों की ऐसी वर्षा की कि ढाल और तलवार के साथ उसे भी बाणों से छलनी कर दिया. इतनी ही देर में वह विशाल हाथी बनकर सामने आ गया तो देवी भगवती ने उसकी सूड़ ही काट दी. ऐसा होते ही वह फिर से भैंसा बन गया तो क्रोधित में देवी की आंखें लाल हो गयीं और वह उछल कर उस महादैत्य के ऊपर ही चढ़ गई. इस पर भी उसने हार नहीं मानी और अपने मुख से दूसरे रूप में बाहर आने की कोशिश करने लगा तो देवी ने उसे अपने प्रभाव से रोक लिया और अपनी बड़ी तलवार से उसका मस्तक काटकर गिरा दिया. महिषासुर का वध होते ही दैत्यों की सेना के बचे-खुचे दैत्य वहां से भाग खड़े हुए.  


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