त्रेतायुग के इस राजा ने पहली बार रखा था चैत्र नवरात्रि का उपवास, जानें इसके पीछे की रोचक कहानी
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि नौ अप्रैल से शुरू होने वाला है. इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है. वहीं कुछ भक्त माता का आशीर्वाद पाने के लिए नौ दिनों का उपवास भी रखती हैं. लेकिन इस उपवास की शुरुआत कब और किसने की क्या इसके बारे में जानते हैं! चलिए विस्तार में इसके पीछे की रोचक कहानी के बारे में जानें.
Shri Ram Started Navratri Vrat: चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 9 अप्रैल से होने वाली है. इस दौरान पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा अराधना की जाती है. भक्त बड़े ही तन मन से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नौ दिनों का उपवास भी करते हैं. बता दें कि क्या कभी भक्तों ने यह जानने की कोशिश की है कि मां दुर्गा के लिए उपवास रखने की शुरुआत कैसे और किसने की! अगर इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है तो आइए विस्तार में इसके बारे में जानें.
मेहनत के बाद भी हाथ में नहीं टिकते पैसे, तो आज ही अपनाएं बागेश्वर धाम वाले बाबा के बताए उपाय
यहां से हुई थी मां दुर्गा के लिए उपवास रखने की शुरुआत
चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक चलने वाले उपवास की शुरुआत त्रेता युग से हुई थी. त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने नवरात्रि के दौरान व्रत रखने की शुरुआत की थी. दरअसल श्री राम ने रावण के साथ होने वाले युद्ध से पहले माता से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना के लिए उपवास रखा था. वहीं वाल्मिकि रामायण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भगवान श्री राम किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर चढ़ाई करने से पहले मां दुर्गा की उपासना में लीन थे.
Shani Effect: 3 दिन बाद शनि खोलेंगे इन राशि वालों की बंद किस्मत, धन-दौलत भर देंगे खाली तिजोरी
मां दुर्गा की उपासना के लिए श्री राम को ब्रह्मा जी ने दी सलाह
बता दें कि भगवान ब्रह्मा जी ने ही श्री राम को मां दुर्गा की उपासना के लिए सलाह दी थी. जिस पर श्री राम ने उनकी सलाह को मानते हुए रावण से युद्ध करने से पहले मां दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक पूजा आराधना की. ब्रह्मा जी ने उन्हें यह भी बताया कि आपकी पूजा तभी सफल होगी जब पूजा और हवन के अंत में 108 नील कमल माता को अर्पित करेंगे. जिसका पता रावण को लग गया और उसने एक नील कमल गायब करा दिया.
नील कमल के गायब होने पर श्री राम ने उठाया ऐसा कदम
भगवान श्री राम ने पूरे नौ दिनों तक मां की आराधना में अन्न और जल त्याग दिया था. पूजा के अंत में उन्होंने जब माता को नील कमल अर्पित करना चाहे और उसमें से एक कम निकला तो वह परेशान हो गए. अपनी एक आंख अर्पित करने का निर्णय ले लिया. जिसके लिए उन्होंने तीर से निशाना लगाना चाहा तभी वहां पर मां चंडी प्रसन्न होकर प्रकट हो गईं. जिसके बाद मां चंडी ने उन्हें विजय होने का आशीर्वाद दिया.
ऐसे हुई फिर नवरात्रि की शुरुआत
भगवान श्री राम की मां दुर्गा के लिए कठिन तपस्या का जब परिणाम स्वरूप रावण के साथ युद्ध में विजय प्राप्त हुआ तो तभी से भगवान श्री राम द्वारा नौ दिनों तक रखे गए व्रत को नवरात्रि कहा जाने लगा. जिसके बाद से ही लोग मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नौ दिनों तक उनकी उपासना कर व्रत रखते हैं. यही वजह है कि त्रेतायुग में ही भगवान श्री राम पहले राजा और मनुष्य थे जिन्होंने नवरात्रि के दौरान नौ दिनों का व्रत रखा था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)