Sagittarius Ascendant People: तेज दिमाग-मोहक मुस्कान वाले होते हैं धनु लग्न के लोग, पर एक बात कर देती है परेशान!
Dhanu Lagna Ke Jatak: धनु लग्न के लोग किसी भी लक्ष्य को भेदने वाले होते हैं. उनमें कमाल की योग्यता होती है लेकिन कोई इनकी बात को एक बार में ना समझ पाए तो चिड़िचडा़ने लगते हैं.
Characteristics of Sagittarius Ascendant People: सभी 12 लग्न के जातकों के बारे में जानने की कड़ी में आज नवीं लग्न धनु के बारे में विस्तार से बात करते हैं. बता दें कि लोगों में लग्न और राशि को लेकर थोड़ा भ्रम हो जाता है. कुंडली में एक लग्न और एक चंद्र राशि होती है. लग्न काफी सूक्ष्म यानी आत्मा है. जिस व्यक्ति की जो भी लग्न होती है, उसका आत्मिक स्वभाव भी वैसा ही होता है.
ऐसे होते हैं धनु लग्न के जातक
धनु लग्न के लोग लक्ष्य भेदने वाले, भले और सज्जन होते हैं. ये दौड़ने में माहिर होते हैं. मानवीय तथा धार्मिक विषयों में रुचि रखते हैं और अन्याय देखकर ये लड़ने पर उतारू हो जाते हैं. कभी-कभी ये कटु बात भी बोल जाते हैं जिससे सामने वाले को कष्ट होता है. बुद्धि में प्रखर और सात्विक विचारों वाले होते हैं. ये कोई भी बात बड़ी जल्दी समझ जाते हैं लेकिन किसी को समझाना हो, तो एक बार के बाद चिड़चिड़ा जाते हैं. इनकी हंसी और मुस्कान लुभावनी होती है. ये अन्य लोगों द्वारा घिरा रहना तथा अपनी प्रशंसा सुनना पसंद करते हैं.
मानसिक और शारीरिक तौर पर होते हैं मजबूत
धनु के सिंबल को देखें तो उसमें आधा व्यक्ति धनुष खींचे हुए हैं और वही व्यक्ति कमर के निचले हिस्से से घोड़ा हो गया है. यह मानसिक और शारीरिक दोनों श्रम करने वाले काम पूरी योग्यता से कर लेते हैं. धनु लग्न कालपुरुष की कुंडली में भाग्य भाव में पड़ता है. इसीलिए इस लग्न को भाग्यशाली लग्न कहा जाता है. यह राशि मूल के चार चरण, पूर्वाषाढ़ा के चार चरण और उत्तराषाढ़ा के एक चरण से मिलकर बनती है. धनु लग्न वालों का लग्नेश बृहस्पति होता है.
भाग्यशाली होते हैं धनु लग्न वाले लोग
धनु लग्न वाले लोग भाग्यशाली होते हैं. इन्हें बस अपना लक्ष्य निर्धारित करना होता है. यदि धनु लग्न पंद्रह अंश से कम है तो इसमें पुरुषत्व के गुण अधिक और पंद्रह डिग्री से ज्यादा है तो पशुत्व के गुण अधिक होते हैं. इस लग्न का स्वामी बृहस्पति होता है. धनु पूर्व दिशा का स्वामी है तथा स्वभावतः क्रूर है और अग्नि तत्व की पुरुष राशि है. यह पृष्ठोदय राशि है तथा अंगों में पैरो की संधि व जांघो का स्वामित्व इसे प्राप्त है. धनु लग्न के लोग भले और सज्जन होते हैं. ये दौड़ने में माहिर होते हैं.
मानवीय और धार्मिक विषयों में होती है रुचि
इस लग्न में जन्म लेने वाला जातक दार्शनिक प्रकृति का होता है, मानवीय तथा धार्मिक विषयों में रुचि रखता है. अगर कुंडली में बृहस्पति तीसरे भाव में हो तो उदारता की कोई सीमा ही नहीं होती. घर आए मेहमान की आवभगत में ये लोग तन-मन-धन से लग जाते हैं. इस लग्न वालों को अन्याय नहीं पसंद होता. अन्याय देखकर ये लड़ने पर उतारू हो जाते हैं. कभी-कभी ये कटु बात भी बोल जाते हैं जिससे सामने वाले को कष्ट होता है.
आदर्शवादिता में विशेष अभिरुचि होती है
इस लग्न वाले जातक अपने मित्रों को बहुत चाहते हैं तथा अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं. न्याय पाने या दिलाने के लिए यदि अथक परिश्रम भी करना पड़े, तो वे पीछे नहीं हटते हैं. ये लोग बृहस्पति के गुणों से ओत प्रोत रहते हैं. इनकी दृष्टि में संपत्ति और आर्थिक उन्नति अधिक महत्वपूर्ण नहीं रहती. मंदिर बनवाने की इनकी प्रबल इच्छा होती है.
इस लग्न के जातक की ज्ञान संबंधी विषयों, धार्मिक कार्यों, गहन मनन, चिंतन और जीवन की सात्विक आदर्शवादिता में विशेष अभिरुचि होती है. बिना किसी आडंबर के ये शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं. सेवा और किसी की सहायता करने में इन्हें बड़ा संतोष मिलता है. व्यंग्य और हास्य विनोद में ये माहिर होते हैं. इस लग्न वाले जातक ख्याति प्राप्त करते हैं तथा अपने कुल के श्रेष्ठ पुरुष बनते हैं. उनके कार्यों और व्यवहार की हर जगह चर्चा रहती है. उन्हें उच्चाधिकारियों का सानिध्य प्राप्त होता है. कभी-कभी ये गुण परिस्थितियों को भी जन्म देते हैं.
कफ प्रधान होते हैं
धनु लग्न का जातक कफ प्रधान प्रकृति का होता है. इन्हें स्नोफीलिया आदि बीमारियां होती हैं. साथ ही फेफड़े और छाती संबंधी बीमारियां होने की संभावनाएं भी अधिक रहती हैं. ये रूढ़िवादी विचारों के होते हैं. विवाद में ये आदर्श लोगों का ही साथ देते हैं. इस लग्न वाले व्यापार में भी रूचि लेते हैं. यदि इस लग्न वाले पुरुष की पत्नी व्यापार में हाथ बंटाए तो सफलता जल्द मिलती है. ये खाने के भी खूब शौकीन होते हैं.
गुरु का सम्मान करें और सूर्य को जल दें
धनु का स्वामी बृहस्पति अष्टम में जाकर उच्च का होता है और द्वितीय भाव में जाकर नीच का हो जाता है. कर्क राशि अष्टम में पड़ने के कारण चंद्रमा अष्टमेश हो जाता है. यदि चंद्रमा कुंडली में ठीक न हुआ तो जातक का मन विचलित रहता है. लेकिन यह लोग शोधपरक कार्य करने में भी बहुत माहिर होते हैं. कुंडली में यदि चंद्रमा मजबूत हो तो यह लोग कुछ नया आविष्कार भी कर सकते हैं. इनमें लक्ष्य भेदने की क्षमता तो होती है लेकिन खराब चंद्रमा होने के कारण लक्ष्य ही तय नहीं हो पाता. इस लग्न वालों को अपने गुरु का हमेशा सम्मान करना चाहिए. यदि आत्मबल में कमी हो तो पुखराज धारण करें. अपने भाग्य को बलवान बनाने के लिए प्रातः सूर्य को जल दें.