Chhath: खरना आज, प्रसाद ग्रहण करने के बाद शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत; जान लें ये बेहद जरूरी बातें
खरना क्या होता है: आज छठ पूजा का दूसरा दिन खरना है. व्रती पूरा दिन व्रत रखने के बाद शाम को गुड़ की खीर का प्रसाद ग्रहण करेंगे और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होगा.
Chhath Puja Kharna 2023: 4 दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो चुका है. छठ पर्व में दूसरा दिन खरना का होता है. इस साल खरना आज 18 नवंबर 2023, शनिवार को है. इससे पहले नहाय खाय होता है, जिसमें व्रती समेत पूरा परिवार स्नान, पूजा करने के बाद लौकी की सब्जी, चना दाल और चावल का भोजन करता है. वहीं कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि यानी कि छठ के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. खरना के बाद से ही छठ का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. इसलिए इस व्रत को बहुत कठिन माना गया है. फिर अगले दिन यानी कि सप्तमी तिथि को छठ व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं खरना क्या होता है और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.
क्यों महत्वपूर्ण है खरना
खरना से मतलब है साफ और शुद्ध करना. साथ ही शुद्ध खाना खाना. इस तरह शुद्ध करने और शुद्ध खाने से मिलकर बना है - खरना. खरना को कुछ जगह लोहंडा भी कहते हैं. खरना के दिन बने भोजन और प्रसाद में शुद्धता का ख्याल रखना बहुत अहम होता है. खरना के बाद से ही छठ का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है.
खरना में क्या होता है?
खरना के दिन सुबह स्नान करके सूर्य को जल चढ़ाया जाता है. इसके बाद व्रती पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत करता है. शाम को भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इसमें गुड़ से बनी खीर और रोटी का भोग लगाया जाता है. फिर यही प्रसाद व्रती ग्रहण करता है. इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है. खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी को होता है. इसी दिन खरना के भोजन के साथ-साथ छठ का प्रसाद भी बनाया जाता है. यह सब पकवान मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी को जलाकर बनाए जाते हैं. फिर षष्ठी तिथि की शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद अगले दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती छठ पूजा का प्रसाद थेकुआ खाकर अपना व्रत खोलते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)