Daslakshan Parv 2022: आज से शुरू हुआ दिगंबर जैन समाज का दसलक्षण पर्व, करना होता है सख्त नियमों का पालन
Daslakshan Parv 2022: दशलक्षण पर्व का जैन धर्म में बहुत महत्व है इसे पर्यूषण पर्व भी कहते हैं. इस दौरान जैन धर्मावलंबी व्रत रखते हैं और सख्त नियमों का पालन करते हैं.
Daslakshan Parv 2022: दिगंबर जैन समाज का 10 दिवसीय दसलक्षण पर्व यानी पर्युषण पर्व आज 31 अगस्त 2022, बुधवार से शुरू हो गया है. वैसे यह पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू होता है, लेकिन 10 दिनों के दौरान एक तिथि के क्षय के कारण यह एक दिन पहले चतुर्थी तिथि से ही शुरू हो गया है. इसके पीछे वजह है कि दसलक्षण पर्व 9 दिन का नहीं हो सकता है, जबकि तिथि बढ़ने की स्थिति में यह 11 दिन का हो सकता है. दसलक्षण पर्व अनंत चतुर्दशी तक चलेगा.
दसलक्षण पर्व में सख्त नियमों का करते हैं पालन
भगवान महावीर के अनुयायी दिगंबर जैन समाज के लोग इस दौरान कठिन व्रत रखते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय 24 तीर्थंकरों (भगवान) की पूजा-आराधना में लगाते हैं. कुछ लोग केवल पानी या दूध लेकर 10 दिन उपवास करते हैं. वहीं कुछ लोग दिन में एक बार भोजन करके दसलक्षण पर्व के व्रत करते हैं. इस दौरान बेहद शुद्ध और सात्विक भोजन ही लिया जाता है. इन व्रत में जमीन में अंदर पैदा होने वाली चीजें और बाहर के खाद्य पदार्थ नहीं लिए जाते हैं.
10 दिनों का है खास महत्व
जैन धर्म के अनुसार पर्युषण या दसलक्षण पर्व आत्मा की शुद्धि का पर्व होता है. ताकि व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पा सके. इसलिए इन 10 दिनों में व्रत करने के साथ-साथ दस नियमों का पालन भी किया जाता है. दसलक्षण पर्व का हर दिन क्रमश: उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन एवं उत्तम ब्रह्मचर्य को समर्पित है. ताकि इन सभी को अपनापर व्यक्ति क्रोध, लालच, मोह-माया, ईर्ष्या, असंयम आदि विकारों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर चल सके.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)