Ramayan Story: रावण का सबसे बड़ा पुत्र मेघनाथ ने प्रभु राम से जो बात सीखी थी वह माता मंदोदरी के सामने कह दी. जिसके बाद मेघनाथ के मुंह से वह बात सीख मंदोदरी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा था.
Trending Photos
Meghnath Mandodari Samvad: रामायण काल में राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. इस युद्द के की कहानियां आज भी सुनाई जाती है. यह बताया जाता है कि कैसे अति बलशाली, अति पराक्रमी रावण अपने गलत कार्यों और दंभ के कारण कैसे मारा गया. लेकिन क्या आपको पता है कि रावण का बड़ा बेटा मेघनाथ ने राम को लेकर ऐसी बात कही थी कि आज भी लोग उसे याद कर भावुक हो जाते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर मेघनाथ को प्रभु राम से ऐसी क्या सीख मिली थी.
खुद को संभाल रहा ता रावण
राम और रावण की सेना के बीच लगातार युद्ध चल रहा था. हर दिन दोनों तरफ से कोई न कोई योद्धा मारा जा रहा था. इस युद्ध में रावण की ओर से एक-एक योद्धा धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे थे. योद्धाओं के मरने पर रावण विचलित तो होता था लेकिन थोड़ी ही देर में खुद को संभाल लेता था.
मेघनाथ की कल्पना से बाहर था युद्ध
इसी बीच एक दिन युद्द के मैदान में एक दिन लड़ाई करने मेघनाथ पहुंचा. वहां पहुंचकर उसने जो महसूस किया वह वाकई ही मेघनाथ की कल्पना से अलग था. उस दिन मेघनाथ को यह समझ में आ गया कि राम कोई साधारण मानव नहीं हैं. लेकिन युद्ध के मैदान से लौटकर उसने अपने पिता रावण को यह बात बताई.
रावण ने मेघनाथ को जमकर कोसा
रावण ने मेघनाथ की एक न सुनी और उल्टा उसे भला-बुरा कहने लगा. पिता की बातों से नाराज मेघनाथ ने कहा कि मैं आज अंतिम युद्ध करने जा रहा हूं. आज या तो आज मेरी विजय होगी या पराजय. पिता को ऐसा कहकर उसने युद्ध की आज्ञा ली. उसके बाद वह अपने माता मंदोदरी के पास गई.
मंदोदरी ने रावण को दी सलाह
माता मंदोदरी ने अपने पुत्र मेघनाथ को सलाह दी. लेकिन मेघनाथ ने माता की सलाह नहीं मानी. उल्टे ऐसी बात कह दी जिससे कि लोग आज भी मेघनाथ की इस बात को याद कर भावुक हो जाते हैं. दरअसल मंदोदरी ने मेघनाथ को कहा कि पुत्र जब तुम्हे आभास है कि राम कोई साधारण मानव नहीं है तो तुम पिता से विमुख होकर प्रभु राम की शरण में चले जाओ.
मेघनाथ ने माता मंदोदरी को चौंकाया
इतना सुनते ही इंद्रजीत ने अपनी माता से जो कहा वो चौंकाने वाला था. मेघनाथ ने कहा कि माते पिता के लिए सबकुछ त्याग देना तो स्वंय श्री राम ने ही सिखाया है. पुत्र के मुंह से यह बात सुनते ही मंदोदरी की आंखें भर आई और अश्रुधारा बहने लगी. अब कलयुग में भी लोग मेघनाथ के कहे वाक्य को याद करते हैं और जब भी पिता के लिए त्याग की बात होती है तो इस लाइन को दोहराया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)