Dev Uthani Ekadashi Significance: 29 जून को भगवान विष्णु पाताल लोक में लंबे समय तक सोने चले गए थे. वहीं अब भगवान श्री हरि के जागने का समय आ गया है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु जिस दिन जागते हैं उस दिन को देव उठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू परंपरा के अनुसार इस दिन नारायण के नाम का व्रत और पूजा की जाती है.


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बता दें कि जिस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में चार महीने के लिए सोने चले जाते हैं उन महीनों को चार्तुमास के नाम से जाना जाता है. इन चार महीने में सारे शुभ काम रूक जाते हैं. वहीं जब वह चार महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल एकादशी में जागते हैं तो तभी से देवउठनी एकादशी से सारे शुभ काम की शुरुआत हो जाती है. आइए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी कब है और इस दिन कैसे भगवान विष्णु की शुभ मुहूर्त पर आराधना की जाती है ताकि उनका आशीर्वाद बना रहे.


जानें कब है देवउठनी एकादशी


हिंदू पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है. इस साल देवउठनी  एकादशी पूजा और व्रत 23 नवंबर को मनाया जाएगा.


व्रत रखने का शुभ दिन


पंचांग की मानें तो देव उठनी एकादशी 22 नवंबर को रात 11 बजकर 30 मिनट से शुरू है जो अगले दिन 23 नवंबर गुरुवार रात 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगा. सूर्योदय तिथि से देखे तो 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी. यही वजह है कि 23 नवंबर को ही व्रत और पूजा करना शुभ होगा.


बन रहा है शुभ योग


23 नवंबर के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है. यही वजह है कि देव उठनी एकादशी का दिन विशेष और महत्वपूर्ण रहेगा.


देव उठनी एकादशी की पूजा करने की विधि


देव उठनी एकादशी के दिन सवेरे उठ कर स्नान करें और फिर कच्चे वस्त्र पहनें. अब पूजा का संकल्प करें और पूरे दिन भगवान नारायण के नाम का जाप करें. वहीं शाम के समय में नारायण के चरणों को छूकर उनके नाम का दीपक जलाकर उन्हें जगाएं .


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)