Devi Ahilya Mandir in Ram Mandir: नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला विराजित होने वाले हैं. मंदिर परिसर समेत पूरी अयोध्‍या सजकर तैयार है. पूरे देश में उत्‍सव का माहौल है. मंदिरों को सजाया जा रहा है. इस ऐतिहासिक दिन को दिवाली की तरह मनाने की तैयारी है. राम मंदिर परिसर विशाल और भव्‍य होने के साथ-साथ रामायण काल से प्रेरित है और इसमें उस समय के सभी महत्‍वपूर्ण किरदारों को भी स्‍थान दिया जाएगा, जिनकी कथाएं हम सुनते आए हैं. इन्‍हीं में शामिल हैं देवी अहिल्‍या, जिनका प्रभु राम ने उद्धार किया था. 


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बनेगा अहिल्‍या मंदिर 


राम मंदिर परिसर में कई अन्‍य मंदिर बनना भी प्रस्‍तावित है, जिसमें देवी अहिल्‍या का मंदिर भी शामिल है. मंदिर परिसर में रामायण काल की मातृ शक्तियों को विशेष स्‍थान दिया जा रहा है. इसके तहत देवी अहिल्‍या के साथ-साथ माता शबरी और देवी अन्‍नपूर्णा के मंदिर भी शामिल हैं. 


...इसलिए पत्‍थर बन गईं थीं देवी अहिल्‍या 


पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी अहिल्‍या ब्रह्माजी की मानस पुत्री थीं. वे सभी गुणों से परिपूर्ण और बहुत ही सुंदर थीं. स्वर्ग के राजा इंद्र अहिल्या के साथ विवाह करना चाहते थे. लेकिन ब्रह्मा जी ने अहिल्या के विवाह के लिए एक शर्त रखी थी कि जो भी तीनों लोकों की परिक्रमा सबसे पहले पूर्ण करेगा, अहिल्या का विवाह उसी के साथ किया जाएगा. तब गौतम ऋषि और इंद्र देव के साथ कई अन्य देवताओं ने भी अहिल्या से विवाह करने के लिए तीनों लोकों की परिक्रमा शुरू की. लेकिन गौतम ऋषि ने परिक्रमा के दौरान एक गर्भवती कामधेनु गाय की परिक्रमा कर ली. इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि कामधेनु गाय तीनों लोकों से भी श्रेष्ठ है और ब्रह्मा जी ने अपनी मानस पुत्री अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से करवा दिया.


गौतम ऋषि ने दिया श्राप 


अहिल्या का विवाह गौतम ऋषि से होने पर इंद्र देव क्रोधित हो गए. उन्‍होंने एक चाल चली, जब एक दिन गौतम ऋषि अपनी कुटिया से बाहर गये हुए थे. उस समय देवराज इंद्र गौतम ऋषि का भेष बदल कर अहिल्या के समीप गए. उसी समय गौतम ऋषि आ गए और उन्होंने बिना कुछ जाने क्रोधित होकर अहिल्या को पत्थर की शिला बन जाने का श्राप दे दिया. गौतम ऋषि के श्राप के कारण अहिल्‍या लंबे समय तक पत्‍थर की शिला बनी रहीं. 


प्रभु राम ने किया श्राप मुक्त


14 साल के वनवास के दौरान प्रभु राम और लक्ष्मण गौतम ऋषि के आश्रम  पहुंचे. तब वहां प्रभु राम जी के चरण लगते ही पत्थर की शिला बनी अहिल्या फिर से अपने स्वरूप में आ गईं. इस तरह अहिल्‍या को नया जीवन मिला. 


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)