छठ पर्व 2018 : चार दिनों के त्योहार में हर तिथि का है अलग महत्व, जानें पूजन विधि
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक चलने वाला चार दिन का छठ पर्व खाए नहाय से शुरू हो गया है.
नई दिल्ली: बिहार और झारखंड का सबसे बड़ा पर्व छठ पूरे देश में बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक चलने वाला चार दिन का ये पर्व खाए नहाय से शुरू हो गया है. नहाए खाए के बाद आज लोग खरना की तैयारी में जुटे हैं. शाम में पूजा के बाद गुड़ की खीर प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है. छठ का व्रत करने वाले महिला और पुरुष प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं. खरना के अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. बुधवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगा.
छठ व्रत की मुख्य तिथियां
11 नवंबर : खाए नहाय
12 नवंबर : खरना
13 नवंबर : शाम का अर्घ्य
14 नवंबर : सुबह का अर्घ्य, सूर्य छठ व्रत का समापन
खाए नहाय: छठ पूजा व्रत चार दिन तक किया जाता है. इसके पहले दिन नहाने खाने की विधि होती है, जिसमें व्यक्ति को घर की सफाई कर पूरी तरह से स्वच्छ होकर शुद्ध शाकाहारी भोजन करता है.
छठ पर्व 2018 : नहाय खाय के बाद खरना आज, गुड़ की खीर का चढ़ता है प्रसाद
खरना: इसके दूसरे दिन खरना की विधि की जाती है. खरना में पूरे दिन का उपवास होता है और शाम के समय गन्ने का रस या गुड़ में बने हुए चावल की खीर का प्रसाद बनता है.
शाम का अर्घ्य: तीसरे दिन सूर्य षष्ठी को पूरे दिन उपवास रखकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन रात के समय छठी माता के गीत गाने और व्रत कथा सुनने की मान्यता है.
Chhath Puja 2018: कल से शुरू छठ पर्व, जानें पूजा के महत्व और व्रत कथा
सुबह का अर्घ्य: चौथे दिन सुबह के समय सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंचना होता है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद घाट पर छठ माता को प्रणाम कर उनसे संतान-रक्षा का वरदान मांगना जाता है. अर्घ्य देने के बाद घर लौटकर सभी में प्रसाद बांट कर फिर व्रती खुद भी प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं.