Ganesh Chaturthi 2023: बप्पा के स्वागत से पहले करें ये काम, गणपति संग पॉजिटिव एनर्जी का होगा आगमन
Ganesh Chaturthi 2023: सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश अपने भक्तों के विघ्न को हर लेते हैं, इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भगवान गणेश भी कहा जाता है. 19 सितंबर से 28 सितंबर तक भगवान गणेश का विशेष पर्व गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाएगा.
Ganesh Chaturthi 2023: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में सबसे पहले गणेश जी का आवाहन, पूजन अर्चन किया जाता है. चाहे वह भूमि पूजन, वाहन पूजन, गृह प्रवेश, विवाह या कोई विशेष पूजा पाठ ही क्यों न हो. यहां तक कि शादी विवाह का पहला निमंत्रण भी गणेश जी को ही दिया जाता है. इसलिए कई बार निमंत्रण पत्र में भी सबसे ऊपर एक मंत्र लिखा होता है, विघ्न हरण मंगल करण श्री गणपति महाराज. प्रथम निमंत्रण आपको मेरे पूरण करिए काज. इस मंत्र का अर्थ शायद ही कोई ऐसा होगा जो न जानता हो. सभी देवताओं में एकमात्र श्री गणेश जी ही ऐसे भगवान हैं जिन्हें प्रथम पूज्य का स्थान प्राप्त है. अधिकांश लोग नए सामान का पूजन किए बिना उसका प्रयोग करना प्रारंभ नहीं करते हैं. यह परंपरा आज की नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है. यदि किसी नए सामान की खरीदारी करके घर लाते हैं तो उस पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाने के बाद दीया जलाकर व पूजन करने के बाद ही उसका प्रयोग करते हैं.
मंगल कार्य करने से पहले बनाते हैं स्वास्तिक
पूजा में जिस तरह श्रीगणेश को सबसे पहले पूजा जाता है ठीक उसी तरह स्वास्तिक को मंगल कार्य शुरू करने से पहले बनाया जाता है. विवाह निमंत्रण पत्र, व्यापारियों के बही खातों, दरवाजे की शाखाओं तथा पूजा की थाली में अंकित स्वास्तिक भगवान श्रीगणेश का ही प्रतीक चिन्ह है. किसी भी बड़े अनुष्ठान या हवन से पहले स्वास्तिक चिह्न निश्चितरूप से बनाया जाता है. यह चिह्न न केवल शुभता का प्रतीक है, बल्कि इसे बनाने वाली जगह पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है स्वास्तिक
स्वास्तिक के चिन्ह को भगवान श्री गणेश का प्रतीक माना जाता है. इस स्वास्तिक की चार भुजाओं को गणेश की चारों भुजाओं का प्रतीक माना जाता है. स्वास्तिक के चारों बिंदु चारों पुरूषार्थों, धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष के प्रतीक हैं. भुजाओं के समीप दोनों रेखाएं गणेश जी की दोनोें पत्नियों अर्थात ऋद्धि एवं सिद्धि की प्रतीक हैं और उनसे आगे की दोनों रेखाएं उनके दोनों पुत्र योग एवं क्षेम का प्रतीक है. इस प्रकार स्वास्तिक भगवान गणेश के पूरे परिवार का प्रतीक माना जाता है. इसके लेखन, ध्यान एवं पूजन से हमारे जीवन तथा कार्यों में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर होती है और हमें ऋृद्धि सिद्धि मिलती है.