Garud Puran about Rebirth: हिंदूओं के सभी 18 महापुराणों में से एक गरुड़ पुराण भी है. गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच मृत्यु और उसके बाद के जीवन के बारे में बातचीत का वर्णन है. गरुड़ पुराण में मौत के बाद आत्मा की यात्रा और पुनर्जन्म के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. ऐसे में आज जानेंगे कि मरने के बाद इंसान की आत्मा कहां जाती है और उसका पुनर्जन्म होता है कि नहीं. 


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नश्वर है आत्मा


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इंसान का शरीर नष्ट हो जाता है, लेकिन आत्मा अमर है. हिंदू धर्म में जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है, तब उसका दाह संस्कार किया जाता है. हालांकि, कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि जब आत्मा नश्वर है तो वह कहां जाती है. इसके बारे में गरुड़ पुराण में बताया गया है.


अंतिम यात्रा


गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद इंसान की आत्मा अंतिम यात्रा पर निकलती है. यह काफी लंबा सफर होता है और इस दौरान उसको कई पड़ाव पार करने पड़ते हैं. आत्मा का 86 हजार योजन की दूरी तय करनी पड़ती है. इसके बाद वह यमलोक पहुंचती है.


आसान सफर


जो इंसान जीवन भर अच्छे कार्य करता है, किसी का दिल नहीं दुखाता है, वह आसानी से यमलोक पहुंच जाता है. वहीं, जो जिंदगी भर बुरे कर्म करता है और दूसरों को कष्ट पहुंचाता है, उसे यमदूत प्रताड़ित करते हुए यमलोक ले जाते हैं.


यातनाएं


मनुष्य के कर्मों के अनुसार आत्मा को यातनाएं दी जाती हैं. नरक में यातनाएं सहने के बाद आत्मा का पुनर्जन्म होता है. ऐसी मान्यता है कि इंसान की मौत के तीसरे दिन से लेकर 40 दिन के बीच में आत्मा का पुनर्जन्म होता है.


पिंडदान


मृत इंसान की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है. इसका आधा हिस्सा आत्मा को मिलता है, जिससे उसका सफर आसान हो जाता है. वहीं, जो इंसान बुरे कर्म करता है, यमदूत उसे पिंडदान नहीं देते हैं और उसे भूखा ही सफर करना पड़ता है.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)