Gayatri Mantra in Hindi: हिंदू धर्म में देवी गायत्री को वेद माता कहा जाता है. धार्मिक रूप से मां गायत्री को ब्राह्मण का सत्व माना जाता है. इसमें वर्तमान, बीता हुआ कल और आने वाले कल का समावेश है. इसी कारण से इन्हें त्रिमूर्ति के रूप में भी पूजा जाता है. कमल के फूल पर बैठी हुईं मां गायत्री धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि की ओर संकेत करती हैं. इतनी अधिक विशेषताएं होने के कारण ही मां गायत्री के मंत्र ओम् भूर्भुवः स्वः तस्यवितुर्वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात। को महामंत्र भी कहा जाता है. 


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गायत्री मंत्र के जाप से कोई भी मनुष्य ब्रह्मा जी के काफी निकट पहुंचकर उनकी कृपा पा सकता है अर्थात ईश्वर तक पहुंचने और मन की शांति पाने का यह सबसे श्रेष्ठ और सरल उपाय है. सबसे अच्छी बात यह है कि गायत्री माता की उपासना कभी भी किसी भी स्थिति में की जा सकती है. इनकी उपासना किसी भी स्थिति में की जाए, लाभदायक ही है. 


विधिपूर्वक आस्था और सच्ची भावना के साथ न्यूनतम कर्मकांडों के साथ की गई उपासना अत्यंत फलदायी मानी गई है. दैनंदिन पूजा में तीन माला गायत्री मंत्र का जाप आवश्यक माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों के लिए तो नित्य प्रति 11 माला का जाप बताया गया है, जो ज्योतिषी गायत्री मंत्र की 11 मालाओं का जाप करते हैं, उन्हें ही ईश्वर ग्रहों की स्थिति का सही आकलन करने वाला बनाता है. ऐसे लोग ही ज्योतिष विद्वान बन पाते हैं. 


प्रातः नित्य कर्म स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद घर के मंदिर के सामने सुखासन अथवा पद्मासन की मुद्रा में बैठकर जाप करना चाहिए. एक बात ध्यान रखिए कि जाप करते समय उच्चारण के होठ हिलते रहने चाहिए, किंतु आवाज इतनी धीमी निकालनी चाहिए कि पास में बैठा व्यक्ति भी न सुन पाए. माला जप और मंत्रोच्चार के साथ इस तरह की भावना की जाए कि हम निरंतर पवित्र हो रहे हैं. दुर्बुद्धि के स्थान पर सद्बुद्धि का संचार हो रहा है.


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