Shanidev Pauranik Katha: शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है. किसी पर भी इनकी तिरछी दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए. इसके पीछे उनकी एक रोचक कथा छिपी है. शनि महाराज भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त हैं, वह एक बार उनकी आराधना में लीन हो गए तो उन्हें किसी भी बात की सुध-बुध नहीं रहती है. 
 


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पढ़ें पौराणिक कथा


ऐसे ही वह एक बार अपने आराध्य की भक्ति में डूबे हुए थे कि उन्हें रात की याद ही नहीं रही. उधर उनकी पत्नी रात होने पर उनका इंतजार कर रही थी. जब आधी से अधिक रात बीतने पर भी शनिदेव अपने शयनकक्ष में नहीं पहुंचे तो उनकी पत्नी स्वयं ही वहां पहुंच गयी और देखा कि वे अपने देव की पूजा में मग्न हैं, ऐसे में उन्होंने आवाज देकर उन्हें बुलाया. 


 


पत्नी ने दिया श्राप


पत्नी की आवाज को पूजा में विघ्न मानकर शनिदेव क्रोधित हो गए जिससे उनकी पत्नी बहुत आहत हुई और श्राप दे दिया कि आप जिसको भी तिरछी नजर से देखेंगे, वह नष्ट हो जाएगा. श्राप देने के बाद ही उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ कि यह क्या कह दिया, उन्हें पश्चाताप भी हुआ लेकिन तब तक तो तीर कमान से निकल चुका था. यही कारण है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में शनिदेव की तीसरी दृष्टि पड़ जाए, उस राशि के स्वामी और उस स्थान के सुख में कमी देखने को मिलती है. 


 


कृष्ण जी के भक्तों पर रहती है शनिदेव की कृपा


जो लोग कृष्ण जी की सच्चे मन से भक्ति करते हैं और शुद्ध हृदय से उनका नाम जपते हैं, शनिदेव उनका कभी किसी तरह का नुकसान नहीं होने देते हैं फिर वह चाहे शनि की साढ़े साती हो या ढैय्या, महादशा हो या अंतर्दशा. दरअसल शनिदेव अपनी तरफ से कभी किसी को कष्ट नहीं देते बल्कि वह तो मनुष्यों को उनके कर्मों का फल देते हैं, शनिदेव की कृपा चाहते हैं तो बुरे कर्मों को छोड़ सत्कर्म करते रहें.