Gopashtami 2023 Date and Muhurat: कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है, छठ पूजा की पूर्णता के ठीक अगले दिन होने वाले इस पर्व में गाय, उनके बछड़ों और गोपालकों का विधि विधान से पूजन किया जाता है. एक तरह से गाय का पूजन और सम्मान कर उसके प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया जाता है क्योंकि गाय और उसके बछड़े ही तो मानव जीवन के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. जहां एक ओर गाय का दूध मानव जीवन के लिए पौष्टिक आहार है वहीं उसी दूध से दही मक्खन, खोया आदि से तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. इसी तरह बछड़े बड़े होकर बैल बनते हैं जो गांवों में खेतों को जोतने का कार्य करते हैं.  प्राचीन काल से बैलगाड़ी में लोगों और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करते थे, लेकिन आधुनिकता के चलते अब यह कार्य खत्म हो गया है. 


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कब है गोपाष्टमी (Gopashtami 2023 Date and Muhurat) 
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी 20 नवंबर को पड़ रही है. उस दिन प्रातःकाल गौओं को स्नान कराने के बाद जल, रोली, मौली और अक्षत से पूजन करने के बाद गाय को वस्त्र अर्पित करना चाहिए. इसके बाद गुड़, दाल, घास आदि खिलाना चाहिए, गाय को वस्त्र आदि भेंट करते हुए गौमाता के रूप में उनके प्रति धन्यवाद व्यक्त करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन गौओं को ग्रास देकर उनकी परिक्रमा करके थोड़ी दूर तक उनके साथ चलकर जाना चाहिए. ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है. 


कैसे मनाएं गोपाष्टमी
इस दिन सायंकाल गौचरण अर्थात जंगल में चरने के बाद जब वह शाम को वापस आए तो उनका पंचोपचार सहित पूजा करके चरण धूलि से अपने मस्तक पर तिलक करना चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. देश भर की प्रत्येक गौशाला में इस दिन उत्सव मनाने के साथ ही धार्मिक लोग, गौपालक गायों की पूजा करने के बाद उनका जुलूस निकालते हैं. गौ में समस्त देवी देवता वास करते हैं, ऐसे में  गौ की पूजा करने से माना जाता है की सभी का देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 
   
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)