Hanuman Chalisa Lyrics: हनुमान जी देवों के देव महादेव भगवान शिव के अवतार हैं.  भगवान हनुमान चिरंजीवी हैं और कहा जाता है कि वे आज भी इस धरती पर मौजूद हैं. इसलिए हनुमान जी को जाग्रत देवता कहा जाता है और उन्‍हें हर मनोकामना पूरी करने वाला माना जाता है. हनुमान जी की पूजा-आराधना करने से सारे संकट टल हो जाते हैं, कोई भी दुख, बीमारी या कष्‍ट करीब भी नहीं आता है. बजरंगबली को प्रसन्न करने का सबसे अच्‍छा तरीका है हनुमान चालीसा का पाठ करना. तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा का पाठ करना हर दुख से निजात पाने का अचूक तरीका है. साथ ही यह जीवन में सुख-शांति भी देता है. इस तरह हनुमान चालीसा पढ़ने के कई फायदे हैं. ये सारे लाभ पाने के लिए हनुमान चालीसा का सही तरीके से पाठ करना जरूरी है. 


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हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही समय और तरीका 


मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. इसके अलावा भी साल में कुछ दिन ऐसे होते हैं जो हनुमान जी की कृपा पाने के लिए विशेष होते हैं. इसमें हनुमान जयंती या हनुमान जन्‍मोत्‍सव भी शामिल है. हर साल चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है. इस साल 23 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाई जाएगी. इस दिन यदि हनुमान चालीसा का सही समय और सही विधि से किया जाए तो यह बेहद लाभ देता है. 
 
हनुमान चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय करना सबसे शुभ होता है. बेहतर होगा कि हनुमान चालीसा का पाठ लाल रंग के आसान पर बैठकर करें. पाठ करने से पहले हनुमान जी की तस्‍वीर को चौकी पर स्‍थापित करने और उसकी पूजा करने के बाद करें. पूजा के लिए चमेली के तेल का दीपक जलाएं. बजरंगबली को सिंदूर और केवड़े का इत्र अर्पित करें. इसके बाद पूरे भक्ति भाव से हनुमान चालीसा का पाठ करें. हनुमान मंदिर में जाकर भी बजरंगबली को दीपक लगाकर और वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं. 


हनुमान चालीसा 


दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)