हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने कुंभ मेले (Kumbh Mela) की अधिसूचना भले ही जारी नहीं की हो लेकिन संतों और गंगा सभा ने परंपरागत तरीके से इस धार्मिक आयोजन की शुरुआत कर दी है. श्रीगंगा सभा ने हर की पौड़ी स्थित ब्रह्मकुंड पर वैदिक विधि विधान के साथ गंगा मां (Maa Ganga) की धर्मध्वजा स्थापित की गयी. आयोजन के दौरान श्रीगंगा सभा के पदाधिकारी मौजूद रहे. महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि गंगा, सनातन धर्म की आस्था का प्रतीक हैं. हर की पौड़ी पर स्थित ब्रह्मकुंड पर उनकी धर्मध्वजा की स्थापना होना सभी के लिये ऐतिहासिक क्षण है.


सुरक्षित, भव्य और दिव्य महाकुंभ 


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धर्मध्वजा की स्थापना से पहले सभा से जुड़े तीर्थ पुरोहितों ने हरिद्वार के विभिन्न क्षेत्रों में नगर भ्रमण कर शोभायात्रा निकाली. इस दौरान शहरवासियों ने उनका स्वागत किया. कुंभ मेले के शाही स्नान के लिए श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के रमता पंचों ने गाजे-बाजे के साथ नगर में प्रवेश किया. कुंभ के मेलाधिकारी दीपक रावत ने रमता पंचों के नगर प्रवेश करने पर माल्यार्पण के साथ उनका स्वागत किया. मेलाधिकारी ने कहा, ' एक तरह से मेले की शुभ शुरूआत हो गयी है, मुझे विश्वास है कि साधु संतों के आशीर्वाद से हरिद्वार (Haridwar Kumbh) में बहुत सुन्दर, सुरक्षित, भव्य और दिव्य महाकुंभ मेला देखने को मिलेगा.' 


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परंपराओं का हुआ पालन


वहीं रमता पंचों के नगर प्रवेश शोभा यात्रा की अगुवाई कर रहे अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहन्त नरेन्द्र गिरि ने कहा कि पूरे भारत में सनातन धर्म (Sanatan Dharma) का प्रचार करने वाले साधु-संत और महात्मा कुंभ के मौके पर एक साथ नगर में प्रवेश करते हैं जो एक पुरानी परंपरा है. वहीं गंगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि हर की पौड़ी एक ऐसा पवित्र स्थान है जहां गंगाभक्तों के साथ ही कई अखाड़े और साधु संत भी गंगा स्नान करते हैं. यात्रा में मां गंगा के अलावा भव्य झांकियां भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी


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