Last Rites in Hindu Family: हिंदू धर्म में शव का दाह संस्‍कार किया जाता है. इसे 16 संस्‍कारों में से अंतिम संस्‍कार माना गया है. हिंदू परिवार में जब किसी की मृत्‍यु होती है तो मृतक को घर में रखने से लेकर उसका अंतिम संस्‍कार करने और उसके बाद के 13 दिनों तक कुछ खास रस्‍मों का पालन किया जाता है. मृत्‍यु से जुड़ी इन परंपराओं के पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण भी होते हैं. इन परंपराओं में एक रस्‍म यह भी शामिल है कि जब घर से श्‍मशान घाट के लिए शव यात्रा निकलती है तो शव के आगे मृतक का एक परिजन हाथ में मटकी लेकर चलता है और इस मटकी में सुलगा हुआ एक कंडा या उपला रखा रहता है. 


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...मटकी में आग लेकर क्‍यों चलता है परिजन 
  
पतली रस्‍सी में बंधी मटकी और उससे निकलता हुआ धुंआ आपने सभी हिंदु शव यात्राओं में देखा होगा. इस मटकी को हाथ में पकड़कर मृतक का परिजन शवयात्रा में सबसे आगे चलता है. फिर श्‍मशान घाट पहुंचकर इसी मटकी की अग्नि को घास पर रखकर सुलगाय जाता है और इसी से मृतक का दाह संस्‍कार किया जाता है. यानी कि घर से लाई गई इस अग्नि से ही मृतक का शरीर जलाया जाता है. 


मृतक का घर से लाई गई अग्नि से ही अंतिम संस्‍कार करने के पीछे एक खास वजह है. दरअसल, पुराने समय में दूल्‍हा-दुल्‍हन जिस अग्नि के फेरे लेते हैं, उस अग्नि को घर में स्‍थापित कर लिया जाता था. इसी अग्नि का उपयोग होम, यज्ञ, पूजन आदि में होता है. यहां तक कि मरने के बाद भी इसी अग्नि से दाह संस्‍कार किया जाता था. उसी पृथा के हिस्‍से के रूप में आज भी  घर से अग्नि जलाकर मटकी में श्‍मशान घाट ले जाई जाती है और फिर इसी से मृतक का दाह संस्‍कार किया जाता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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