Akshat kyu lagate hai: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ में धर्म-कर्म में या किसी भी मांगलिक कार्य के दौरान चावल का उपयोग जरूर किया जाता है. चावल जिसे अक्षत भी कहते हैं इसके बिना कोई पूजा संपन्न ही नहीं होती. अक्षत का मतलब होता है जो टूटा न हो, जिसका क्षय नहीं होता इसलिए पूजा के दौरान अक्षत चढ़ाया जाता है ताकि पूजा में कोई रुकावट न आएं ये किसी भी स्थिति में खंडित न हो. पूजा-पाठ के अलावा अक्सर आपने देखा होगा कि तिलक लगाते समय भी पंडित जी तिलक के के बाद अक्षत लगाते हैं लेकिन क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है.


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तिलक में क्यों करते हैं चावल का उपयोग


तिलक के दौरान चावल या अक्षत का उपयोग हमेशा से होता आ रहा है. कहते हैं जैसे चावल कभी खराब नहीं होता और जितना चावल पुराना होता है, उतना अच्छा होता है. ऐसे में इसे लंबी आयु का कारक माना जाता है. वो व्यक्ति तिलक लगाता है इसमें चावल का उपयोग करता है ताकि व्यक्ति की उम्र लंबी हो. 


चावल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. जिस तरह भगवान की पूजा में चावल का उपयोग करते हैं उसी तरह तिलक के बाद भी अक्षत लगाते हैं. ऐसा करने से आसपास की नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है और सकारात्मकता आती है. 


तिलक के बाद माथे पर अक्षत लगाने से सभी ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम होता है, ये ग्रहों को संतुलित करने में मदद करता है. 
तिलक पर चावल लगाने से ये सूर्य की उर्जा को केंद्रित करता है और पूरे शरीर में इसका संचार करता है जिससे व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है. 


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चावल को संपन्नता का प्रतीक मानते हैं इसलिए माथे पर तिलक के साथ इसका उपयोग करने से इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. 


अक्षत का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो इसलिए इसका संबंध धन से माना जाता है जो व्यक्ति माथे पर तिलक के साथ अक्षत लगाता है उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)