होलाष्टक में क्या क्या काम नहीं करना चाहिए: हिंदू धर्म में होली के त्‍योहार को प्रमुख पर्व माना गया है. यह पर्व 5 दिन तक चलता है. पहले फाल्गुन माह की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन होता है और फिर उसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है और फिर पांचवे दिन रंग पचंमी का पर्व मनाया जाता है. लेकिन इस सबसे पहले 8 दिन के होलाष्‍टक लगते हैं. होलाष्‍टक  फाल्गुन माह की अष्टमी से शुरू होते हैं और होलिका दहन तक चलते हैं. साल 2023 में होलाष्‍टक 27 फरवरी से शुरू हो रहे हैं और 7 मार्च 2023, मंगलवार को होलिका दहन के साथ खत्‍म होंगे. इसके बाद अगले दिन 8 मार्च 2023 को होली मनाई जाएगी. 


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अशुभ होते हैं होलाष्‍टक के 8 दिन 


होलाष्टक को हिंदू धर्म और ज्‍योतिष में अशुभ माना जाता है. इसके पीछे ग्रहों की अशुभ स्थिति और पौराणिक कथाएं भी कारण हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा से पहले के 8 दिन लगभग सभी नवग्रह अस्त और रुद्र अवस्था में होते हैं. यानी ये ग्रह इस समय अस्‍त रहकर अशुभ फल देते हैं. ऐसे में इस दौरान किए गए शुभ काम भी अशुभ फल देते हैं. इसलिए इस दौरान शादी, सगाई, नये घर में प्रवेश, बच्चे का मुंडन, नया घर-गाड़ी खरीदने जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. वरना इनसे बुरे नतीजे मिलते हैं. 


...फिर जल गई होलिका 


वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार असुर राजा हिरण्यकश्चप ने अपने पुत्र प्रहलाद को इन 8 दिनों में खासी यातनाएं दी थीं, क्‍योंकि वह भगवान विष्‍णु का भक्‍त था. हिरण्यकश्चप खुद को सर्वशक्तिमान मानता था और उसे यह बात रास नहीं आई. 8 दिन की यातना से भी जब प्रहलाद की भगवान के प्रति आस्‍था नहीं डिगी तो उसे मारने के लिए पूर्णिमा का दिन चुना गया. प्रहलाद की बुआ होलिका को वरदान था कि उसे आग जला नहीं सकती है. लिहाजा पूर्णिमा के दिन होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई ताकि उसका भतीजा जलकर भस्‍म हो जाए. लेकिन भगवान श्रीहरि की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर भस्‍म हो गई. तब से ही बुराई की प्रतीक होलिका को जलाने की परंपरा है और उससे पहले के 8 दिन यानी कि होलाष्‍टक में भगवान की भक्ति करना शुभ माना जाता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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