नई दिल्ली. हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. आरती (Aarti) के बगैर पूजा (Puja) को अधूरा माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, आरती के दीपक का प्रकाश भगवान का रूप है. भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने स्कंद पुराण में कहा है कि अगर कोई भक्त मंत्रहीन और क्रियाहीन पूजा करता है लेकिन अगर वह प्रेम और श्रद्धा से आरती (Significance Of Aarti) कर लेता है तो उसकी पूजा सफल माना जाएगी.


आरती के हैं कुछ नियम


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शास्त्रों में भगवान की आरती करने के कुछ विशेष नियम (Rules Of Aarti) बताए गए हैं लेकिन कुछ लोगों को आरती करने के सही नियम मालूम नहीं है. आज हम आपको आरती करने के नियम बताएंगे.


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ऐसे तैयार करें आरती की थाली


आरती की थाली को सजाते समय कई बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आरती की थाली को हमेशा भगवान का शृंगार मानकर सजाएं. आरती की थाली चांदी, पीतल या तांबे की हो तो उत्तम रहेगा. अगर आपके पास चांदी, पीतल या तांबे की थाली नहीं है तो घर में मौजूद कोई भी थाली आरती के लिए ले सकते हैं. आरती की थाली में रोली, अक्षत, पुष्प और प्रसाद रखें. इसके बाद आरती की थाली में दीपक रखें और थाली में रखी सामग्री से पूजन करें. इसके बाद भगवान की आरती शुरू करें.


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इस नियम से करें भगवान की आरती


भगवान की आरती करने के भी कुछ नियम हैं. आरती को सबसे पहले भगवान के चरणों की तरफ चार बार घुमाना चाहिए. उसके बाद भगवान की नाभि की तरफ आरती को दो बार घुमाएं और आखिर में एक बार मुख की तरफ घुमाएं. आरती के दौरान सात बार ऐसा करना होता है. आरती के पूर्ण होने पर जल से आरती का आचमन कर उस जल का अन्य लोगों पर छिड़काव करें. घर में रोजाना इस नियम से आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार होता है.


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