Indira Ekadashi 2024 Date and Time: वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल 24 एकादशी तिथियां होती हैं. हर एक एकादशी का अपने आप में खास महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. आपको बता दें कि अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत होता है. इस दिन जो भी व्यक्ति विधि विधान से श्री हरि की पूजा करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-शांति का वास होता है. इस साल इंदिरा एकादशी आज यानी 28 सितंबर को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, तिथि, महत्व और व्रत पारण का समय.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़ें: एकादशी श्राद्ध पर इन 3 राशियों पर मेहरबान होंगे पितृ, पद-पैसा मिलना तय, पढ़ें राशिफल


 


इंदिरा एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण
हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 1 20 मिनट पर हो गई है. वहीं, इसका समापन आज यानी 28 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट पर होगा. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 41 मिनट से सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं.
वर्त पारण का समय: जो लोग एकादशी का व्रत रखेंगे वो 29 सितंबर यानी कल सुबह 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 8 बजकर 36 मिनट तक कर सकते हैं.



इंदिरा एकादशी 2024 का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को जाने-अनजाने में किए हुए पाप से मुक्ति मिल जाती है. ये भी कहा जाता है कि मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता है. इसके अलावा पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है.



भगवान विष्णु को लगाएं इन चीजों का भोग
इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु को केसर की खीर, पंचामृत, बेसन के लड्डू, पंजीरी का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है. इससे श्री हरि प्रसन्न होते हैं और अपनी असीम कृपा व्यक्ति पर बनाए रखते हैं साथ ही इच्छाएं भी पूरी करते हैं.


यह भी पढ़ें: शनि-राहु मिलकर ढाएंगे कहर! 5 अक्‍टूबर से किन 5 राशियों पर होगा सबसे ज्‍यादा असर?


जरूर करें भगवान विष्णु की आरती


भगवान विष्णु जी की आरती 
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।


भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।


जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।


मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।


तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।


तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।


तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।


दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।


विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।


श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.