Nageshwar Temple Kanpur: भारत प्राचीन, ऐतिहासिक, चमत्‍कारिक और रहस्‍यमयी मंदिरों का देश है. इन मंदिरों के रहस्‍य, चमत्‍कारों के कारण देश-विदेश से लोग यहां आते हैं. इनमें से कई मंदिर ऐसे हैं जिनके दर्शन मात्र से जीवन के ढेरों कष्‍ट दूर हो जाते हैं. उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में कानपुर में पनकी स्थित नागेश्वर महादेव का धाम ऐसा ही चमत्‍कारिक मंदिर है. साथ ही इस मंदिर में सैकड़ों वर्ष पुराना एक तालाब भी है. इस तालाब में बड़ी संख्‍या में कछुए हैं, जिसके चलते इसे कछुआ तालाब कहते हैं. माना जाता है कि इस मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही कछुए मनोकामना पूरी करते हैं. 


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कुछओं की पूजन के बिना अधूरी है भोलेनाथ की पूजा 


इस नागेश्‍वर मंदिर परिसर में बने तालाब की विशेषता है कि जब से यह तालाब बना है, तब से ही इसमें कछुए हैं. यानी कि इस तालाब से कछुए कभी गायब ही नहीं हुए, बल्कि हमेशा बड़ी संख्‍या में कछुए रहते हैं. इसलिए इसे कछुआ तालाब कहते हैं. मान्‍यता है कि इस शिव मंदिर में पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लेकिन महादेव की पूजा तभी पूरी मानी जाती है, जब कछुओं की भी पूजा की जाती है और उन्‍हें भोजन दिया जाता है. मान्‍यता है कि ये कछुए ही मनोकामनाएं पूरी करते हैं. साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि इस नागेशवर महादेव मंदिर में दर्शन करने से कुंडली के काल सर्प दोष के कारण मिल रहे कष्‍टों से राहत मिलती है. 


कछुओं को खिलाया जाता है पनीर 


इस शिव मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कुछओं को भोजन देना नहीं भूलते हैं. शिव जी की पूजा करने के बाद लोग कछुओं की भी पूजा करते हैं और फिर उन्‍हें ब्रेड, पनीर और आटा खिलाते हैं. माना जाता है ऐसा करने से ये कछुए लोगों की मुरादें पूरी कर देते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)