Sawan Kanwar Yatra Significance: सावन का महीना हो और कांवड़ यात्रा का जिक्र ना हो ऐसा नामुमकिन है. कांवड़यात्री लंबी-लंबी पैदल यात्राएं करके गंगाजल लाते हैं और फिर महादेव का गंगाजल से अभिषेक करते हैं. सावन का महीना शिव जी को बेहद प्रिय है इसलिए इस पवित्र महीने में शिवलिंग का अभिषेक करना और पूजा करना बहुत लाभ देता है. इस साल 4 जुलाई 2023, मंगलवार से सावन महीना शुरू हो रहा है. इस मौके पर एक पौराणिक कथा जानते हैं, जिसमें बताया गया है कि कांवड़ से जल लाकर शिव जी का अभिषेक करने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई. 


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कांवड़ यात्रा से जुड़ी है कई कथाएं


कांवड़ यात्रा को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं. इनमें कांवड़ यात्रा की शुरुआत को लेकर अलग-अलग कारण और समय बताए जाते हैं. जैसे- विभिन्‍न कथाओं के अनुसार कांवड़ यात्रा की शुरुआत भगवान श्रीराम, लंकापति रावण, परशुराम, श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा शुरू की थी. इसमें श्रवण कुमार की माता-पिता को कंधे पर बिठाकर तीर्थ यात्रा कराना और फिर गंगा स्‍नान कराना शामिल है. माना जाता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई. वहीं रावण से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी बेहद प्रचलित है. 


रावण से जुड़ी कांवड़ की पौराणिक कथा


कांवड़ यात्रा को लेकर रावण और भगवान शिव की एक कथा पुराणों में बताई गई है. इसके अनुसार जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष पिया था तो उनके गले में बहुत जलन हुई थी. तब शिवजी ने अपने परम भक्‍त रावण को याद किया और रावण तुरंत कांवड़ में जल लेकर पहुंचा और शिव जी का अभिषेक किया, जिससे शिव जी को राहत मिली थी. तब से ही सावन महीने में शिव जी का कांवड़ से लाए जल से अभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)