Karwa Chauth 2022: कार्तिक महीने की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन हर पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. सारे दिन भूखे-प्यासे रहकर निर्जला व्रत किया जाता है. इसके बाद चांद देखकर पति की पूजा की जाती है. पूजा करने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला जाता है. आइए जानते हैं करवा चौथ के इतिहास के बारे मे. ये भी जानेंगे कि आज देश भर में मनाया जाने वाला करवा चौथ का ये व्रत रखने की परंपरा भारत के किस राज्य से शुरू हुई. 


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करवा चौथ का मतलब


करवा का मतलब मिट्टी का बर्तन होता है और चौथ का मतलब होता है चतुर्थी तिथि. यानी कि कार्तिक महीने की चतुर्थी के दिन मिट्टी के बर्तन से अर्घ्य देकर पूजा की जाती है.


करवा चौथ का पौराणिक इतिहास


मान्यताओं के अनुसार एक बार युद्ध का समय था. तब ब्रह्मा जी ने सभी देवियों को अपने पतियों की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी थी. इसके बाद सभी देवियों ने भूखे प्यासे निर्जला करवा चौथ का व्रत किया और चांद देखकर पूजा की. तभी से करवा चौथ की तिथि बहुत महत्वपूर्ण हो गई.


रामायण से संबंध


करवा चौथ को रामयण काल से जोड़कर भी देखा जाता है. माना जाता है कि माता सीता ने लंका में रहने के दौरान सबसे लंबा व्रत रखा था. अशोक वाटिका में रहते हुए उन्होंने अन्न जल त्याग दिया था. इसके बाद देवताओं ने प्रकट होकर उन्हें आश्वासन दिया था और खीर खिलाई थी. एक मान्यता ये भी हैं कि सीता जी ने ही करवा चौथ का व्रत पहली बार किया था.


किस राज्य में है खास महत्व


करवा चौथ को मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश पंजाब हरियाणा दिल्ली मध्यप्रदेश और राजस्थान में मनाया मनाया जाता है हर जगह त्योहार को मनाने के अलग-अलग रीति रिवाज है कई जगह पति भी पत्नियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखते हैं. करवा चौथ का महत्व विशेष तौर से पंजाब के साथ जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि इस दौर में सबसे पहले पंजाब में ही करवा चौथ को पारंपरिक तरीके से मनाने की शुरुआत हुई थी. पंजाब में करवा चौथ के व्रत से पहले सरगी की रस्म निभाई जाती है, जिसमें हर सास बहू के लिए एक स्पेशल थाली तैयार करती है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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