ASI on Krishna Janmabhoomi Mandir: कृष्ण जन्मभूमि मथुरा को लेकर एक RTI यानी सूचाना के अधिकार के जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अहम जानकारी दी है. ASI ने अपने जवाब में कहा है कि परिसर में मुगल शासक औरंगजेब ने मस्जिद के लिए हिंदू मंदिर को तोड़ा था. हालांकि अपने जवाब में ASI ने 'कृष्ण जन्मभूमि' का जिक्र नहीं किया है, लेकिन केशवदेव मंदिर का उल्‍लेख किया है. ASI ने साफ कहा है कि विवादित स्थान पर बने केशव देव मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब ने तोड़ दिया था. साथ ही इस स्‍थान को औरंगजेब ने मस्जिद के लिए इस्तेमाल किया. यह मंदिर बेहद अहम है. इसका निर्माण स्‍वयं भगवान श्रीकृष्‍ण के प्रपौत्र ने कराया था. 


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5 हजार साल पुराना 


मथुरा का केशव देव मंदिर अति प्राचीन है. इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का सबसे पहले निर्माण भगवान कृष्‍ण के प्रपौत्र व्रजनाभ ने कराया था. वज्रनाम के पिता का नाम अनिरुद्ध था और अनिरुद्ध भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के बेटे थे. गांधारी के शाप के कारण जब यदुवंश क्षत्रियों के बीच मूसल युद्ध हुआ था तो उसमें सारा यदुवंश नष्‍ट हो गया था. इस युद्ध में केवल भगवान श्रीकृष्‍ण के प्रपौत्र व्रज और व्रजनाथ बच गए थे. तब दोनों भाई हस्तिनापुर आ गए और यहां के राजा महाराज परीक्षित (अभिमन्‍यु के पुत्र) के साथ मिलकर उन्‍होंने कई मंदिरों, तालाब आदि का निर्माण कराया. इसी में केशव देव मंदिर भी शामिल है. 


कई बार हुआ पुनर्निर्माण   


भगवान कृष्‍ण के प्रपौत्र द्वारा कराए गए इस मंदिर का जीर्णोद्धार बाद में कई राजाओं ने करवाया. सम्राट चंद्रगुप्‍त विक्रमादित्‍य द्वारा जीर्णोद्धार कराने क बाद करीब 500 वर्षों तक यह मंदिर पूरे ठाठ-बाठ से खड़ा रहा लेकिन जब भारत पर मुगल आक्रमणकारियों ने हमला बोला तो यह मंदिर भी बच नहीं पाया. मंदिर की भव्‍यता देखकर मुगल शासक चिढ़ गए और उनमें स्‍थापित सोने-चांदी की मूर्तियों, हीरे-जवाहरातों के ढेर को लूट लिया गया. मंदिर को तोड़ा गया. एक समय ऐसा आया कि मथुरा मंदिर विहीन हो गया था. फिर राजा मानसिंह ने यहां कई मंदिर बनवाए, जिसमें केशव देव मंदिर भी शामिल था. इसके बाद ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने इस मंदिर को और भव्‍य बनवाया.  
 
केशव देव मंदिर की रोशनी से चौंधिया गईं थीं औरंगजेब की आंखें 


केशव देव मंदिर की भव्‍यता ऐसी थी कि एक बार जब औरंगजेब आगरा से दिल्‍ली लौट रहा था तो उसने आसमान में रोशनी देखकर अपने सिपहसालारों से पूछा कि ये रोशनी कहां की है. तब लोगों ने बताया कि यह मथुरा के केशवदेव मंदिर की रोशनी है. बस इसके बाद ही औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्‍ट करने के लिए अपनी सेना भेज दी. औरंगजेब की सेना ने मंदिर की ऊपरी मंजिलों को गिरा दिया. फिर औरंगजेब ने यहां मेहराब बनवाया ताकि मथुरा की यात्रा के दौरान यहां नमाज पढ़ सके. ऐतिहासिक दस्‍तावेजों के अनुसार 1670 में जब औरंगजेब मथुरा गया तो मंदिर के खंडहर पर बनी मस्जिद में उसने नमाज भी पढ़ी थी.