खाटू श्याम बाबा के जन्मदिन पर जानें उनकी रोचक कहानी, हैरान कर देगा ये चमत्कार
Khatu Shyam Baba: खाटू श्याम बाबा के भक्त देश के कोने-कोने में फैले हैं. राजस्थान के सीकर में स्थित खाटूधाम में दूर-दूर से लोग आते हैं. आज खाटू श्याम बाबा के जन्मदिन पर जानते हैं बाबा की कहानी.
कौन है खाटूश्याम जी: राजस्थान के शेखावाटी के सीकर जिले में परमधाम खाटू स्थित है. यह खाटू श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है. यहां हर साल फाल्गुन माह की शुक्ल षष्ठी से द्वादशी तिथि तक मेला भी लगता है. आज खाटु श्याम बाबा का जन्मदिन है. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसी दिन देवउठनी एकादशी होती है. इस साल खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन आज 23 नवंबर 2023, गुरुवार को है. आइए इस मौके पर खाटू श्यामजी की कहानी जानते हैं.
बर्बरीक ही हैं खाटू श्याम बाबा
पौराणिक कथाओं के अनुसार खाटू श्यामजी भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार हैं. महाभारत काल में इसका उल्लेख मिलता है. पांडुपुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच और घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक थे. बर्बरीक को ही बाबा खाटू श्याम कहते हैं. खाटू श्याम बाबा की माता का नाम हिडिम्बा है.
खाटू श्याम की कहानी
कथाओं के अनुसार बर्बरीक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे. बर्बरीक के केवल 3 बाण ही कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त करने के लिए काफी थे. महाभारत युद्ध के दौरान मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा. बर्बरीक की इस घोषणा से कृष्ण चिंतित हो गए.
भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन भीम के पौत्र बर्बरीक की वीरता देखना चाहते थे. तब श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि इस पीपल के पेड़ के सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद कर दिखाओ. तब बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया. इस तीर ने एक-एक करके सारे पत्तों को छेदता जा रहा था, तभी एक पत्ता टूटकर नीचे गिरा और श्रीकृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा. इससे बर्बरीक हार जाएगा. लेकिन बर्बरीक का तीर सभी पत्तों को छेदता हुआ श्रीकृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया.
तब बर्बरीक ने कहा कि प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया पैर हटा लीजिए, क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं. इस चमत्कार को देखकर कृष्ण चिंता में पड़ गए. उन्हें लगा कि ऐसे में बर्बरीक को कौरव हारते हुए नजर आए तो वह उनकी ओर से युद्ध करने लगेगा. साथ ही एक तीर से ही पांडवों की सेना को खत्म कर देगा.
श्रीकृष्ण ने चली चाल
तब भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण का भेष बनाकर बर्बरीक के शिविर के द्वार पर भिक्षा मांगने पहुंचे. उन्हें बर्बरीक को चुनौती दी कि वो उनके मनमुताबिक चीज नहीं दे सकेंगे. बर्बरीक उनके जाल में फंस गए. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश मांग लिया. बर्बरीक ने भी अपना वादा निभाते हुए शीशदान कर दिया. बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और कहा कि कलियुग में वे उनके नाम से पूजे जाएंगे. बर्बरीक को ही आज खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है. खाटू धाम में स्थित श्याम कुंड से ही बाबा श्याम प्रकट हुए थे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)