Prayagraj Mahakumbh 2025: त्रिवेणी संगम पर लगेगा कुंभ मेला, समझ लीजिए इसका पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व, मिलेंगे अनंत पुण्य लाभ
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Prayagraj Mahakumbh 2025: त्रिवेणी संगम पर लगेगा कुंभ मेला, समझ लीजिए इसका पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व, मिलेंगे अनंत पुण्य लाभ

Prayagraj Mahakumbh 2025 Latest News: जनवरी 2025 में प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन होना है जिसकी तैयारियां अभी से शुरु हो गई हैं. इसे दुनिया भर का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है. पंडित शशिशेखर त्रिपाठी से इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

 

Prayagraj Mahakumbh 2025: त्रिवेणी संगम पर लगेगा कुंभ मेला, समझ लीजिए इसका पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व, मिलेंगे अनंत पुण्य लाभ

Prayagraj Mahakumbh 2025 Starting Date: प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल में लगने वाला महाकुंभ मेला क्रमशः हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में लगता है. इस बार का मेला प्रयागराज पवित्र गंगा यमुना और सरस्वती नदी के संगम तट पर लग रहा है इसलिए अगला अर्थात 2037 का मेला  हरिद्वार में गंगा किनारे लगेगा और उसके बाद उज्जैन में क्षिप्रा नदी पर जिसे उत्तरी गंगा भी कहा जाता और फिर नासिक में पवित्र गोदावरी नदी पर जिसे दक्षिण गंगा माना जाता है. 

कुंभ मेला का पौराणिक महत्व 

देश के चार शहरों में आयोजित होने वाला कुंभ मेला को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कहा जाता है. माना जाता है कि देवताओं और असुरों के संयुक्त प्रयास से किए गए समुद्र मंथन में कई रत्नों के साथ अमृत से भरा हुआ घड़ा अर्थात कुंभ या कलश निकला. इस अमृत के लिए देवताओं और असुरों में खींचतान होने लगी. विष्णु जी ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों से कुंभ को बचाया और उसे लेकर स्वर्ग में जाते समय कुंभ की बूंदें नासिक, उज्जैन, प्रयागराज और हरिद्वार में गिरीं. जहां जहां पर अमृत की बूंदें गिरी वह नगर ही पवित्र हो गए और कुंभ मेला लगने लगा. समुद्र मंथन स्थल से स्वर्ग तक पहुंचने में 12 दिव्य दिन लगे जो लौकिक संसार में 12 वर्ष के समान हैं. यह भी कहा जाता है कि आठवीं शताब्दी में शंकराचार्य ने मेले का विधिवत आयोजन कराया तभी से यह परंपरा चली आ रही है.  

ज्योतिषीय योग भी जानिए 

ज्योतिषीय गणना के अनुसार बृहस्पति के कुंभ राशि और सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने पर हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होता है. बृहस्पति के सिंह राशि में और सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने पर उज्जैन में कुंभ मेला लगता है. इसी प्रकार बृहस्पति के सिंह राशि और सूर्य के भी सिंह राशि में  प्रवेश करने पर नासिक में मेला लगता है.  इसी तरह जब सूर्य मकर राशि में और बृहस्पति वृष राशि में होता है तो कुंभ मेला प्रयागराज में होता है.

कुंभ में गंगा स्नान का महत्व

कुंभ में गंगा स्नान करना अमृतपान के समान माना गया है. यही कारण है कि कुंभ मेला में देश के ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं जहां भारत की सांस्कृतिक एकता और धरोहर के दर्शन होते हैं. कुंभ स्नान से शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि के साथ ही पापों से मुक्ति होती है. कहा जाता है कि हजारों अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य कुंभ में गंगा स्नान से मिलता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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