Shri Krishna Death: एक लीला थी भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु, इस रहस्यमय तरीके से छोड़ा था शरीर!
Krishna Ji Death Story: बहुत से लोगों का ये मानना है कि भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु नहीं हुई थी बल्कि उन्होंन देहत्याग कर दिया था. वहीं, पौराणिक कथाओं के अनुसार सच कुछ और ही है. मान्यतानुसार भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु भी एक लीला ही थी. जानें उनकी मृत्यु का रहस्य.
Lord Krishna Death Story: अक्सर लोगों को ये लगता है कि भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु देहत्याग से हुई थी. लेकिन पौराणिक कथा में बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हुई थी. भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा जितनी आश्चर्यजनक है, उतनी ही रहस्मय उनकी मृत्यु की कथा है. भगवान श्री की लीलाओं के चर्च पौराणिक कथाओं में खूब मिलते हैं. यमुना के विषधर कालिया नाग को नाथ दिया था.
कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु एक मामूली से जहरीले तीर से हो गई थी. जबकि वो स्वयं विष्णु भगवान के अवतार थे और शेषनाग उनकी शय्या थी. उनकी मृत्यु पर यकीन करना मुश्किल है. जानें कैसे और किन परिस्थितियों में हुई थी भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु.
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यहां हुई थी भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महाभारत के 16वें अध्याय में जहां पूरे यादव वंश के विनाश के बारे में बताया गया है, वहीं, भगवान बलराम और श्री कृष्ण के परमधाम गमन की कथा के बारे में बताया गया है. बता दें कि महाभारत युद्ध के लगभग 36 साल बाद भगवान श्री कृष्ण ने दुनिया से प्रस्थान लिया था. बताया जाता है कि जब भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हुई तब उनकी आयु 125 साल 8 महीने और 7 दिन की थी.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु सिर्फ एक तीर लगने से हुई थी. बता दें कि जिस जगह पर भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हुई थी, उसे भालका तीर्थ के नाम से जाना जाता है. ये तीर्थ गुजरात के सौराष्ट्र के प्रभास क्षेत्र के वेरावल शहर में स्थित है. ये जगह सोमनाथ मंदिर के बेहद करीब है.
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जानें भगवान श्री कृष्ण की मृत्य का रहस्य
धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अपने कुल का विनाश देखकर काफी दुखी हो गए थे. इसके बाद से ने सोमनाथ मंदिर के पास प्रभास क्षेत्र में रहने लगे थे. एक दिन वो पीपल के वृक्ष के नीचे योगनिद्रा में विश्राम कर रहे थे. तब एक शिकारी को उनके पांव का तलवा दूर से देखने में किसी हिरण की तरह दिखाई दिया. शिकारी ने उनके तलवे को हिरण समझकर तीर मार दिया. बता दें कि शिकारी का नाम जीरू था.
शिकारी का तीर भगवान श्री कृष्ण के पैर में लगते ही उनका पूरा शरीर सुन्न पड़ गया. तीर जहर से बुझा हुआ था. भगवान श्री कृष्ण के पैर में तीर लगते ही जीरू शिकारी मे उनके गिड़गिड़ा कर अपनी गलती की माफी मांगी और भगवान ने भी ये कहते हुए माफ कर दिया कि ये मात्र एक संयोग है. बताया जाता है कि वंश के नाश के बाद भगवान श्री कृष्ण बस अपनी मृत्यु का बहाना ढूंढ रहे थे. जैसे ही उनके पांव में शिकारी का तीर लगा, उसी क्षण भगवान श्री कृष्ण ने अपने देह त्यागने का निर्णय कर लिया.
यूं खत्म हुआ यादव वंश
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद जब युधिष्ठर राजसिंहासन पर बैठ रहे थे, तब कौरवों की मां गंधारी ने महाभारत युद्ध और कौरवों के नाश के लिए भगवान श्री कृष्ण को दोषी ठहराया और उन्हें श्राप दिया कि दिस तरह से कौरव वंश का नाश हुआ है, उसी तरह यदुवंश का भी नाश होगा. इसी कारण यादव वंश के लोग भगवान श्री कृष्ण की आंखों के सामने लड़-झगड़ कर मर गए थे.
कैसे हुई भगवान श्री कृष्ण की अंत्येष्टि
कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के वंश के सिर्फ दो ही लोग बचे थे, बब्रु और दारूक. इन दोनों ही लोगों ने भगवान श्री कृष्ण के शरीर को जल समाधि देकर अंतयेष्टि की थी. ऐसा माना जाता है कि उन्हें लेने के लिए मां लक्ष्मी रथ लेकर आईं थी और उनके ज्योतिपुंज को लेकर वैकुंठ चली गईं. वहीं, कई जगह ऐसा भी कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं जल समाधि ले ली थी और जल के प्रभाव से उनके शरीर का सारा विष निकल गया था और आज भी वे जल समाधि में ही हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)