नई दिल्ली. समाज में मान सम्मान, पद, प्रतिष्ठा हर कोई चाहता है. चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के अनुसार, इंसान अपने कार्यों से ही मान-सम्मान और अपमान हासिल करता है. जब कोई व्यक्ति अच्छे गुणों को अपनाकर अच्छे कार्य करता है तो  उसको समाज में हर कोई वरीयता और मान-सम्मान देता है. वहीं, जब व्यक्ति अवगुणों का दामन थाम लेता है तो वह मूर्ख (Fool) कहलाता है. उसे कोई मान-सम्मान नहीं देता है. हर कोई उसको मूर्ख कहकर संबोधित करता है.


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चाणक्य एक महान शिक्षक, कुशल अर्थशास्त्री और माहिर कूटनीतिज्ञ थे. उन्होंने अपने जीवन की हर समस्या का बहादुरी से सामना किया. चाणक्य ने कभी अपने आत्मविश्वास को कम नहीं होने दिया और निरंतर लक्ष्य की प्राप्ति में लगे रहे. उनके अच्छे गुण, कुशल कार्यों, मीठी वाणी और योग्य आचरण के कारण ही उनकी गिनती श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है.


नई चीज न सीखना


चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति किसी भी नई चीज को सीखने में रुचि नहीं रखते हैं, वे उनकी नजर में मूर्ख है. अगर व्यक्ति को जीवन में सफलता की सीढ़ियां लगातार चढ़नी हैं तो उसके लिए निरंतर नई-नई चीजें भी सीखते रहना चाहिए.


खुद की प्रशंसा 


चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति हर जगह खुद की प्रशंसा और दूसरों की बुराई करता है, उसे मूर्ख माना जाता है. इसके अलावा जो व्यक्ति मानव कल्याण का काम करता है और अपनी तारीफ खुद नहीं करता है, उसे ही समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है.


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ज्ञान का अहंकार 


चाणक्य के अनुसार, जो लोग खुद को ज्ञानी और दूसरों को अज्ञानी मानते हैं, उन्हें समाज में मूर्ख माना जाता है. ऐसे लोग सदैव धोखा खाते हैं और हर जगह हंसी का पात्र भी बनते हैं.


अपशब्दों का इस्तेमाल


चाणक्य के अनुसार, जो लोग दूसरों का सदैव अपमान करते हैं और अपशब्दों का इस्तेमाल कर बातचीत करते हैं, उनकी समाज में प्रतिष्ठा खत्म हो जाती है. ऐसे व्यक्ति को लोग मूर्ख मानने लग जाते हैं.


धन का घमंड


चाणक्य के अनुसार, संसार से जाने के बाद इंसान अपने अच्छे कामों की वजह से ही याद किया जाता है. धन, दौलत तो जीवन यापन का साधन मात्र हैं. चाणक्य के अनुसार, जिस व्यक्ति को अपने धन का घमंड होता है और वह दूसरों को नीचा दिखाने की कोई कसर नहीं छोड़ता है, वह मूर्ख माना जाता है.


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