नई दिल्ली: आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस बार छठ पूजा का आरंभ 18 नवंबर से हो रहा है. चार दिनों के इस त्योहार (Festival) को उत्तर भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा बिहार और झारखंड (Jharkhand) के निवासियों का प्रमुख त्योहार है लेकिन इसका उत्सव पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलता है.


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सूर्य देव की उपासना के पर्व छठ पूजा (Chhath Puja) को प्रकृति प्रेम और प्रकृति पूजा का सबसे सटीक उदाहरण भी माना जाता है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी का प्रकोप होने के चलते कई सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदियां लगी हुई हैं. इसके बावजूद भी लोगों का जुनून और आस्था कम होती नहीं दिख रही है.


क्यों की जाती है भगवान सूर्य की पूजा
इस व्रत से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं. नहाय-खाय से शुरू होने वाले छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत महाभारत (Mahabharat) काल से ही हो गई थी. एक कथा के अनुसार, महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राज-पाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने चार दिनों का यह व्रत किया था.


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इस पर्व पर उन्होंने भगवान सूर्य की उपासना की थी और मनोकामना में अपना राज-पाट वापिस मांगा था. इसके साथ ही एक और मान्यता प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में कर्ण ने की थी. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वे पानी में घंटों खड़े रहकर सूर्य की उपासना किया करते थे. इससे प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने उन्हें महान योद्धा बनने का आशीर्वाद दिया था.


कौन हैं छठ मैया
मान्यता है कि छठ पूजा (Chhath Puja) के दौरान पूजी जाने वाली ये माता सूर्य भगवान की बहन हैं. इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं. वहीं पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठ मैया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है.


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