Mahabharat: महाभारत के युद्ध में हनुमान जी ने निभाया था अहम किरदार, अर्जुन की ऐसे की थी मदद
lord Hanuman In Mahabharata: महाभारत का युद्ध इतिहास में हुए कई ऐसी घटनाओं की विवेचना है जो व्यक्ति को कई प्रकार के सभ्य पाठों से रूबरू कराता है. महाभारत का हर एक किरदार व्यक्ति के जीवन में उसे एक नई सीख देता है. ठीक वैसे ही महाभारत में भगवान हनुमान की भी उतनी अहम भूमिका रही है, जिसके बारे में शायद कम लोग जानते हैं.
Hanuman In Mahabharat: महाभारत में भगवान हनुमान के किरदार के बारे में शायद ही लोग जानते होंगे. बता दें कि भगवान हनुमान का महाभारत के 18 नंबर से नाता है. वैसे तो महाभारत का युद्ध भी 18 दिनों के बाद ही खत्म हुआ था. शायद यही वजह रही हो कि भगवान हनुमान का भी 18 नंबर से नाता रहा हो! आइए विस्तार में इसके पीछे की रोचक कहानी के बारे में जानें.
भगवान हनुमान का 18 नंबर से कैसा है कनेक्शन
दरअसल महाभारत का युद्ध होने से पहले ही भगवान श्री कष्ण ने भगवान हनुमान और अर्जुन को द्वारिका नगरी में बुलाया था. इसी दौरान अर्जुन बड़े ही ताव में आकर भगवान हनुमान को अपना महान धनुर्धन होने का घमंड दिखाने लगे. पर हनुमान जी ने एक ही पल में अर्जुन के इस घमंड को चकनाचूर कर दिया.
अर्जुन को हुआ भूल का एहसास
इस घटना के बाद भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उसकी भूल का अहसास कराया. जिसके बाद भगवान कृष्ण ने हनुमान जी से आग्रह किया कि युद्ध के दौरान वह अर्जुन के रथ पर ध्वजा के रूप में स्थापित रहे.
हनुमान ने रखी शर्त
भगवान श्री कृष्ण की ध्वजा वाली बात को मानते हुए हनुमान जी ने एक शर्त रखी. उन्होंने कहा कि जैसे भगवान श्री कृष्ण ने राम के अवतार में उन्हें युद्ध के साथ साथ ज्ञान का सार दिया था ठीक वैसे ही महाभारत युद्ध में भी ज्ञान का सार दें.
तो हनुमान जी का 18 नंबर से इसलिए है नाता
इस घटना के बाद हनुमान जी पूरे 18 दिनों तक अर्जुन के रथ पर लाल ध्वजा के रूप में स्थापित रहे. ऐसी मान्यता है कि अगर हनुमान जी ध्वजा के रूप में अर्जुन के रक्ष पर स्थापित नहीं रहते तो उनका रथ कब का नष्ट हो चुका होता. यही वजह है कि भगवान हनुमान का महाभारत के 18 दिनों तक चलने वाले युद्ध से 18 नंबर का नाता रहा है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)