Significance of Fasting: महर्षियों ने मनुष्य के हित के लिए बहुत से साधन बताए हैं जिनमें से एक साध व्रत उपवास है. मनुष्य जीवन को सफल बनाने में व्रत की अपार महिमा बताई गई है. धर्म ग्रंथों के अनुसार व्रत और उपवास के नियम पालन से शरीर को तपाना ही तप है. व्रत में फलाहार या एक समय भोजन किया जा सकता है, किंतु उपवास तो निराहार की रहना होता है. 


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हिन्दू धर्म मे व्रत


 


हिंदू धर्म में इसलिए हर महीने व्रत उपवास किए जाते हैं, ताकि मनुष्य सतमार्गी बना रहे और पाप कर्मों से दूर रहे. महर्षियों ने जहां एक ओर व्रत उपवास पर जोर दिया है, वहीं उन्होंने व्रत करने के लिए कुछ नियम भी बनाए हैं. जिनका पालन करने पर ही व्रत का पूरा फल व्यक्ति को प्राप्त होता है. 


 


जानें व्रत के नियम


  • व्रत करने वाले व्यक्ति को क्रोध, लोभ, मोह, आलस्य, चोरी और दूसरों से ईर्ष्या आदि नहीं करना चाहिए. व्रती को क्षमा, दया, दान, इंद्रिय निग्रह, देव पूजा, यज्ञ आदि के कर्म करने चाहिए. 

  • व्रत के समय बार-बार जल पीने, दिन में सोने, पान या पान मसाला आदि खाने, आदि करने से व्रत बिगड़ जाता है. लेकिन जल, फल फूल, दूध दही, दवा आदि के सेवन और संतों, गुरुओं तथा पूज्य जनों के वचनों से व्रत नहीं बिगड़ता है. व्रत में खीर, सत्तू, जौ, तरोई, लौकी आदि साग और ककड़ी खीरा, आम, नारंगी व केला आदि फल, गो दूध, दही, घी आदि का सेवन किया जा सकता है. 

  • व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले ही जागने के बाद नित्यकर्म से निवृत्त हो नहाने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद जिस देवता का व्रत किया जा रहा है उनके विग्रह( मूर्ति या फोटो) के समक्ष साफ आसन में बैठ कर धूप दीप गंध पुष्प मिष्ठान्न आदि से विधि विधान के साथ पूजन करना चाहिए. सौभाग्यवती महिलाओं को व्रत पूजा में लाल वस्त्र धारण करना चाहिए.