Mahabharat Abhimanyu Story: हाल में बजट चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने महाभारत के जरिए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जिस तरह महाभारत काल में अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाया गया था, उसी तरह देश भी चक्रव्यूह में फंसाया जा रहा है. क्या आप जानते हैं महाभारत में कैसे अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंस गए थे. 

 


 

 

कौरवों ने अपनाई छल की रणनीति

 

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में 18  दिनों तक चला था. ये युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था. कौरवों ने पांडवों को हराने के लिए छल की रणनीति बनाई. वे चाहते थे कि वो युधिष्ठिर को बंदी बनाकर युद्ध जीत लें. इसके लिए उन्होंने सोचा कि वो अर्जुन को युद्ध में उलझाकर चारों भाइयों से दूर ले जाएंगे और युधिष्ठिर को बंदी बना लें. 

 

अपनी इस रणनीति को अंजाम देते हुए कौरवों की एक टुकड़ी ने अर्जुन को युद्ध में उलझाया और उसे रणनीति से दूर ले गए. वहीं, द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए पूरा चक्रव्यूह रचा. साथ ही, इसे तोड़ने का तरीका भी सिर्फ कौरव ही जानते थे. अर्जुन के दूर जाते ही द्रोणाचार्य ने पांडवों को ललकारा. ऐसे में पांडवों ने सोचा की अगर वो युद्ध नहीं करेंगे, तो भी हारेंगे, और युद्ध करेंगे तो भी हारेंगे. 

 

युधिष्ठिर कभी कशमकश में थे कि क्या किया जाए, इतने में उनके सामने एक युवक आया और उसने चक्रव्यूब तोड़ने और युद्ध करने का आशीर्वाद मांगा. यह कोई और नहीं बल्कि अभिमन्यु था. अभिमन्यु अर्जुन का पुत्र था, जिसकी उम्र 16 साल ही थी. लेकिन अभिमन्यु अपन पिता की चरह युद्ध कौशल में निपुण था. युधिष्ठिन ने अभिमन्यु को मना कर दिया लेकिन उसने एक बात न मानी. अभिमन्यु ने बताया कि जब वो अपनी मां के गर्भ में था, तब उसके पिता ने उसे चक्रव्युह तोड़ना सिखाया था. 

 


 

 

चक्रव्यूह में किया प्रवेश

 

अभिमन्यु के सामने युधिष्ठिरने हार मान ली थी. सभी युद्ध के लिए तैयार हो गए. कौरव ने अभिमन्यु को रणक्षेत्र में देखते ही उसका मजाक उड़ाया. लेकिन अभिमन्यु का युद्ध कौशल देखकर सभी हैरान रह गए. इस दौरान अभिमन्यु ने दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण को मार गिराया. चक्रव्युह में प्रवेश किया. अभिमन्यु के चक्रव्यूह में प्रवेश करते ही राजा जयद्रथ ने उसका द्वार बंद कर दिया.  

 

लेकिन अभिमन्यु दृढ़ता से आगे बढ़ता रहा. धीरे-धीरे अभिमन्यु ने एक-एक कर सभी को मार गिराया. चक्रव्यूह में दुर्योधन, कर्ण और गुरु द्रोणाचार्य ने हार माननी पड़ी. इस बीच कौरवों ने अभिमन्यु पर एक साथ हमला कर दिया. इस दौरान किसी ने अभिमन्यु का रथ तोड़ा. तो किसी ने उसका धनुष. लेकिन इन सब के बावजूद भी अभिमन्यु नहीं रुका. उसने रथ का पहिया उठाया और युद्ध करना शुरू कर दिया. काफी देर तक अभिमन्यु अकेला ही लड़ता रहा. लेकिन आखिर में सभी ने मिलकर अभिमन्यु की हत्या तरक दी. अर्जुन को इस बात का पता चलते ही अर्जुन ने जयद्रथ का वध करने की प्रतिज्ञा की.  

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)