Ganesh Ji Mantra Jaap: आज 7 जून, बुधवार के दिन आषाढ़ माह की चतुर्थी तिथि है. बता दें कि हिंदू  शास्त्रों के अनुसार दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि गणेश जी को समर्पित है. इस दिन गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत आदि रखने से भक्तों के सभी कार्य पूर्ण होते हैं. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिड्गल नाम से जाना जाता है. इस दिन गणेश जी के निमित्त व्रत-उपवास रखने की परंपरा है.


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धार्मिक मान्यता है कि गणेश पूजन और नाम के जाप से व्यक्ति के सभी कार्य निर्विघ्न पूरे होते हैं और उन्हें सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. इतना ही नहीं, व्रत के पुण्य प्रताप से आय, सुख और भाग्य में वृद्धि होती है. आज कृष्णपिड्गल चतुर्थी का दिन बेहद खास है. बुधवार होने के कारण इस दिन गणपति की कृपा पाने का विशेष मौका है. अगर आप भी गणेश जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस दिन पूजा-अर्चना के बाद गणेश जी के खास मंत्रों का जाप अवश्य करें.


संकष्टी चतुर्थी के दिन करें इन मंत्रों का जाप


1. गणेश स्तुति का मंत्र


गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।


उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥


2. गणेश गायत्री मंत्र


ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।


3. प्राण प्रतिष्ठा मंत्र


अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।


अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।


4. र्विघ्न हरण का मंत्र


वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।


निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥


5.बाधांए दूर करने का मंत्र


एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।


विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥


6. द्वादश नाम मंत्र


गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।


नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।


धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।


गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।'


7. सिद्धि मंत्र


वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।


निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥


8. कार्य पूर्ति हेतु मंत्र


त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।


नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।


9. गणेश स्तुति मंत्र


ॐ श्री गणेशाय नम:।


ॐ गं गणपतये नम:।


ॐ वक्रतुण्डाय नम:।


ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।


ॐ विघ्नेश्वराय नम:।


गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।


उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।


10. आह्नान मंत्र


गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।


उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।


आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।


यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)