Lord Ram Katha: प्रभु श्री राम ने समुद्र को पार कर लंका में रावण सहित सभी राक्षसों का वध वानरों के सहयोग से ही किया था, जिसमें सर्वाधिक साथ दिया वानर राज सुग्रीव और हनुमान जी ने. क्या आप जानते हैं कि राम को वानर सेना ने क्यों मदद की. दरअसल इसके पीछे जुड़ा नारद जी का श्राप. आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य.


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नारद जी ने क्यों मांगा सुंदर रूप?
महर्षि नारद “नारायण” के परम भक्त हैं. नारद जी को अपने ज्ञान और विद्वता पर बड़ा अभिमान हो गया तो उसे चूर चूर करने के लिए “नारायण” ने अद्वितीय सुंदरी विश्वमोहिनी को प्रकट किया और नारद को उसके मोह में डाल दिया. नारद जी ठहरे मुनि जिनके एक हाथ में वीणा तो दूसरे हाथ में करतल. उन्हें लगा कि इस रूप में गए तो विश्वमोहिनी उनसे विवाह करने से इनकार कर सकती है, सो वह सीधे श्री हरि के पास पहुंचे और उनसे सुंदर रूप देने की मांग की तो उन्हें वानर का रूप दे दिया.


 


बड़ी ही प्रसन्नता के साथ वो विश्वमोहिनी के स्वयंवर में चले. वो तो समझ रहे थे कि उनके रूप पर मोहित होकर विश्वमोहिनी उनके गले में ही वरमाला डालेगी लेकिन उनके सहित सभी लोग उन्हें देख हंस दिए. विवाह करने की उनकी योजना पर पानी फिर गया. 


 


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नारद जी ने दिया श्राप
घोर निराशा में नारद जी ने “नारायण” को श्राप दे दिया कि तुमने मुझे स्त्री जनित दुख दिया है वही दुख तुम भी पाओगे और तुमने जो रूप देकर मेरी हंसी उड़ाई है, बिना वानरों की सहायता से संग्राम में विजय नहीं प्राप्त कर सकेंगे. नारद जी ब्रह्मा जी के मानस पुत्र और वेदों के ज्ञाता महर्षि थे, उनका श्राप तो सत्य होना ही था. उनके श्राप के कारण ही “नारायण” ने अयोध्या के महाराजा दशरथ और महारानी कौशल्या का पुत्र बनकर अवतार लिया. बाद में उन्हें अपनी पत्नी सीता का वियोग भी झेलना पड़ा और वानरों की सहायता से ही वह लंकाधिपति रावण सहित उसके कुल का संहार कर सकने में सफल हुए.


 


रामनवमी पर करें ये काम
आगामी 17 अप्रैल यानी चैत्र शुक्ल नवमी को प्रभु श्री राम के अवतार का दिन है. इस दिन सभी लोगों को रामावतार की कथा सुनकर उनकी पूजा करनी चाहिए जिससे जीवन में साहस, धैर्य और मर्यादा प्राप्त होती है. श्रीराम के अवतार का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है, ‘नाना भांति राम अवतारा, रामायन सत कोटि अपारा॥’