Mahabharat Story: यूं तो महाभारत काल दुर्योधन के कई काले कारनामों से भरा पड़ा है. लेकिन, क्या आपको पता है कि दुर्योधन ने मदद करने वाले अंगरक्षक को ही मौत की नींद सुला दिया था. आपको पढ़ने में थोड़ा अजब-गजब लगा होगा लेकिन पौराणिक कथाओं की माने तो यह सच्ची घटना है. हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कब, कैसे और क्यों दुर्योधन ने मदद करने वाले अंगरक्षक को मौत की घाट उतार दी थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दुर्योधन ने पकड़ा कन्या का हाथ


दरअसल, हुआ यूं था कि एक बार दुर्योधन आखेट पर निकला. आखेट के दौरान वह जंगल में काफी आगे निकल गया. आगे उसे एक सुंदर कन्या नजर आई. ये कन्या गंधर्वों की बेटी थी. सुंदर कन्या को देखते ही दुर्योधन की नीयत कमजोर पड़ गई. जिसके बाद उसने आगे बढ़कर कन्या का हाथ पकड़ना चाहा.


गंधर्वों ने सुनाई मौत की सजा


किसी भी अनहोनी को भांपते ही कन्या वहां से बचकर भाग निकली. और घर जाकर उसने अपने परिवार को इस बात की जानकारी दी. दुर्योधन के इस कृत्य से गुस्साए हुए गंधर्वों ने तुरंत दुर्योधन को चारों ओर से घेर लिया और उसे बंदी बना लिया. गंधर्वों के राजा ने दुर्योधन को इस गलत कृत्य के लिए मृत्यु दंड की सजा सुनाई.


पांडवों की मनुहार के बाद बची जान


हालांकि, इस दौरान दुर्योधन का अंगरक्षक वहां से भाग निकला. अपने स्वामी की जान बचाने के लिए वह पास में रह रहे पांडवों के पास पहुंच गया. अंगरक्षक की गुहार के बाद युधिष्ठिर की आज्ञा से भीमसेन और अर्जुन मौके पर पहुंच गए. जिसके बाद दोनों ने गंधर्वों को समझा-बुझाकर दुर्योधन को रिहा करवा दिया.


अंगरक्षक को सुनाई मौत की सजा


पांडवों के द्वारा छुड़ाए जाने के बाद दुर्योधन लज्जित हो गया. जिसके बाद वह पता लगाने में जुट गया कि आखिर पांडवों तक खबर किसने पहुंचाई. जांच-पड़ताल के बाद दुर्योधन को इस बात की जानकारी मिल गई. जिसके बाद उसने अपने अंगरक्षक को इस बात के लिए इनाम न देकर सजा दे दी. दुर्योधन ने जान बचाने वाले अपने ही अंगरक्षक को मौत की नींद सुला दिया.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)