Only Kaurava Who Fought Mahabharata War Against Duryodhana: आज से हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ महाभारत जैसा युद्ध आज तक न तो कभी हुआ और न ही कभी होने की उम्मीद है. इस महायुद्ध की अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि स्वयं भगवान विष्णु भी मानव रूप में इसका एक हिस्सा बने थे. युद्ध के मैदान में जब अर्जुन कौरवों के खिलाफ हथियार उठाने से हिचक रहे थे तो भगवान कृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश देते हुए सृष्टि की रचना का पूरा विधान समझाया था. 


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युद्ध में बचने वाला दुर्योधन का एकमात्र भाई


इस युद्ध में जहां एक और दुर्योधन अपने सौ भाइयों और भारी भरकम सेनाओं के साथ एक ओर था था. तो दूसरी ओर युधिष्ठिर अपने 5 भाइयों और कौरवों से कम सेना के साथ डटे थे. भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन और चतुराई से पांडवों ने इस महायुद्ध में दुर्योधन समेत सभी कौरवों को मार डाला. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुर्योधन का एक भाई इस युद्ध में जीवित बच गया था. वह दुर्योधन की हरकतों का विरोधी था और महाभारत का युद्ध शुरू होने पर वह कौरवों का पाला छोड़कर पांडवों की ओर से लड़ा था. 


दुर्योधन से सहमत नहीं थे विकर्ण और युयुत्सु


पौराणिक कथाओं के मुताबिक युद्ध में सभी कौरव पांडवों के विरुद्ध नहीं थे. धृतराष्ट्र के दो पुत्र विकर्ण और युयुत्सु दुर्योधन के विचारों से सहमत नहीं थे. उन दोनों ने वास्तव में द्रौपदी को पासे के खेल में दांव पर लगाने का विरोध भी किया था. रोचक बात ये है कि विकर्ण गांधारी और धृतराष्ट्र का तीसरा पुत्र था. वह दुर्योधन और दुशासन के बाद कौरवों में तीसरा सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति भी था.


अपने भाई दुर्योधन के खिलाफ लड़ा युद्ध


मन से पांडवों को अपना शत्रु ना मानने के पश्चयात् भी विकर्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध के समय पर दुर्योधन की तरफ से लड़ाई लड़ी. भीष्म ने उन्हें कौरव पक्ष के महान योद्धाओं में से एक बताया था. वहीं युयुत्सु धृतराष्ट्र का वैश्य उर्फ ​​सुघदा/सौवली से पैदा हुआ इकलौता पुत्र था, जो उनकी पत्नी गांधारी की दासी थी. वह गांधारी के बच्चों - दुर्योधन और बाकी 100 कौरव भाइयों और उनकी बहन दुशाला का पैतृक सौतेला भाई था.


पांडवों का साथ देने की वजह से बचा जीवित


कौरवों और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र युद्ध की शुरुआत से पहले, युयुत्सु कौरवों से पांडव खेमे में चला गया. वह कौरवों में एकमात्र भाई था, जो धृतराष्ट्र का पुत्र था और महाभारत के युद्ध में भाग भी लिया. इसके बावजूद वह इस धर्मयुद्ध में सही का साथ देने की वजह से जीवित बच गया था.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)