Mahashivratri Vrat Parana: महाशिवरात्रि का व्रत खोलने से पहले जानें पारण का सही तरीका, मुहूर्त और नियम
Shivratri Vrat Parana Niyam: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन व्रत रखने से साधक को पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, कष्ट, रोग, दोष दूर होता है. जिस प्रकार महाशिवरात्रि का व्रत विधिपूर्वक रखा जाता है. उसी प्रकार महाशिवरात्रि के व्रत का पारण भी विधिपूर्वक करने पर ही व्रत का पूरा फल मिलता है.
Mahashivratri Vrat Parana 2024 Date: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. बता दें कि आज 8 मार्च को देशभर में शिव भक्तों ने पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवलिंग जलाभिषेक किया. शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए महाशिवरात्रि के दिन लोग उपवास रखते हैं. शास्त्रों के अनुसार जैसे विधिपूर्वक व्रत रखने पर ही भोलेनाथ की कृपा पाई जा सकती है. उसी प्रकार विधिपूर्वक व्रत का पारण करने पर ही व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के पूरा दिन ही शिवलिंग में भोलेनाथ का वास होता है. लेकिन इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा पाने के लिए प्रदोष काल, निशिता काल और रात्रि का चार प्रहर में जागकर महादेव की भक्ति की जाती है. महाशिवरात्रि के व्रत के पारण से पहले जान लें सही तरीका, नियम और शुभ मुहूर्त.
महाशिवरात्रि पारण का मुहूर्त (Mahashivratri Vrat Parana Muhurat 2024)
बता दें कि महाशिवरात्रि व्रत का पारण विधिपूर्वक करने पर ही महाशिवरात्रि के उपवास का पूर्ण फल प्राप्त होता है. बता दें कि 9 महाशिवरात्रि व्रत का पारण 9 मार्च सुबह 6 बजकर 37 मिनट से लेकर 3 बजकर 29 मिनट तक किया जा सकता है. ये पारण का शुभ मुहूर्त है. कई बार लोग महाशिवरात्रि का व्रत अपनी मान्यतानुसार ही करते हैं.
महाशिवरात्रि व्रत खोलने के नियम (Mahashivratri Vrat Niyam)
जो लोग महाशिवरात्रि व्रत में निशिता काल मुहूर्त और रात्रि के चार प्रहर में शिव जी की आराधना करते हैं उन्हें माहशिवरात्रि के व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही करना चाहिए. वहीं, जो लोग एक समय का उपवास रखते हैं, वह प्रदोष काल में पूजा के बाद ही अन्न ग्रहण करें.
महाशिवरात्रि पारण विधि
महाशिवरात्रि के अगले दिन सुबह स्नान करें और महादेव पर बेलपत्र, गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद उन्हें चदन, फूलों की माला पहनाएं. ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें और उसके बाद ही व्रत खोलें. बता दें कि व्रत का पारण पूजा में चढ़ाए गए फलों से ही करना चाहिए. इसके साथ ही, व्रत का पारण सात्विक भोजन से ही करें. लहसुन, प्याज से युक्त भोजन नहीं करें. ऐसा करने से व्यक्ति को व्रत का फर नहीं मिलता.
व्रत का भोजन बनाते समय उसमें शुद्ध घी का उपयोग करें. इसके अलावा व्रत पारण में मूली, बैंगन, तला भोजन आदि नहीं खाएं. इससे सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उपवास के बाद खट्टे फलों का सेवन करने से एसिडिटी की समस्या पैदा कर सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)