Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का पर्व वैसे तो सूर्य के मकर राशि से शनि की राशि में प्रवेश के लिए जाना जाता है. इस दिन के बाद से रुके हुए मांगलिक कार्य भी प्रारम्भ होने लगते हैं. जो धनु राशि में सूर्य के प्रवास (खरमास) के चलते बंद हो गए थे. इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. 


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मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का महत्व


 


मकर संक्रांति का पर्व वैसे तो सूर्योपासना के लिए जाना जाता है, सूर्य बल प्रदाता है इसलिए सूर्य की आराधना तो नित्य ही करनी चाहिए. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कुपित हैं उन्हें नित्य सूर्य नारायण को नमस्कार कर जल का अर्घ्य देना चाहिए. खासकर प्रत्येक सूर्य संक्रांति पर तो करना ही है. मकर संक्रांति को गंगा नहान का विशेष महत्व होता है, कहते हैं इस दिन प्रयाग में स्नान करने से सभी जन्मों के कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन सूर्य को जल का अर्घ्य और दान करने से सूर्य की कृपा प्राप्त होती है.


 


श्री कृष्ण और माता यशोदा से क्या है संबंध


 


सूर्योपासना के साथ ही इस पर्व का संबंध भगवान श्री कृष्ण और माता यशोदा से भी है. पौराणिक कथा के अनुसार माता यशोदा ने श्री कृष्ण को पुत्र रूप में पाने के लिए मकर संक्रांति के दिन व्रत रखा था. दरअसल त्रेतायुग में श्री राम के वनवास से लौटने के बाद कैकेयी ने उनसे कहा कि अगले जन्म में तुम मेरे गर्भ से जन्म लेकर मुझे अपनी माता बनने का सौभाग्य देना.


 


माता कैकेयी के इस आग्रह को प्रभु श्री राम स्वीकार कर लिया. यह सुनकर माता कौशल्या दुख से भावविभोर हो उठी, इस पर श्री राम ने कहा कि माता आप दुखी न हों, मैं भले ही माता कैकेयी के गर्भ से जन्म लूंगा लेकिन पुत्र आपका ही कहलाऊंगा. इसी कारण द्वापर में भगवान राम ने श्री कृष्ण के रूप में देवकी मां के गर्भ से जन्म लिया लेकिन उनका लालन पालन माता यशोदा ने किया और इसलिए श्री कृष्ण यशोदा नंदन भी कहलाए.