Manglik Dosh Nivaran: कुंडली में मांगलिक दोष का नाम सुनते ही व्यक्ति भयभीत हो जाता है, इसके उपाय भी हैं और कुछ स्थानों का मंगल शुभ फल देने वाला भी होता है. बिना समझे बूझे भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है. मांगलिक होने का मतलब होता है कि कुंडली में मंगल की स्थिति काफी मजबूत और पावर में है, यदि मंगल किन्हीं कारणों से कमजोर हो गया हो तो भी मंगल दोष माना जाता है. ऐसे लोगों के विवाह में काफी विलंब होता है और यदि बिना कुंडली मिलान के विवाह हो जाए तो बाद में भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मंगल को नकारात्मक नहीं समझना चाहिए, यह दोष नहीं बल्कि एक ऊर्जा है जिसके अधिक होने से व्यक्ति साहसी, मैनेजमेंट में निपूर्ण, कर्मठ होता है. 


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कुंडली में मंगल की स्थति
विवाह से पूर्व कुंडली मिलान के समय दोनों की कुंडली में मांगलिक योग होने चाहिए. मांगलिक विचार करने के लिए कुंडली में मंगल के स्थिति को समझना आवश्यक है. वर या कन्या की कुंडली में प्रभावित भावों में से किसी एक में मंगल हो तो दूसरे की कुंडली में भी इन्हीं स्थानों पर मंगल हो. एक जैसी स्थिति के चलते विवाह शुभ फलदायक हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में इस तरह का विवाह वर वधू को दीर्घायु प्रदान करता है, इतना ही नहीं पुत्र पौत्रादि का सुख भी प्राप्त होता है. 


कुंडली में मंगल दोष का निवारण
यदि किसी कुंडली में मांगलिक दोष है तो भयभीत नहीं होना चाहिए, क्योंकि मांगलिक दोष का परिहार यानी उससे होने वाले दोष का उपचार भी ज्योतिषीय तरीकों से किया जा सकता है. इसका प्रभाव न केवल मंगल से बल्कि सूर्य शनि राहु और केतु की स्थिति से भी हो जाता है. मंगल स्वयं भी कुछ परिस्थितियों में दोष निवारण करने में सक्षम होता है. हनुमान जी की पूजा, शंकर जी को जल एवं शिव परिवार की सेवा आदि करने से दांपत्य जीवन सुखी रहता है और जीवनसाथी भी अच्छा प्राप्त होता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)