Vivah Panchami Puja Vidhi: मार्गशीर्ष माह का बहुत अधिक महत्व है, इस महीने को परम पवित्र माना जाता है, इसी माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन त्रेता युग में प्रभु श्री सीता का माता जानकी के साथ विवाह हुआ था. इस दिन का एक और अद्भुत संयोग है कि संवत 1633 में इसी पंचमी के दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस का लेखन पूरा किया था. मानस को पूरा करने में गोस्वामी जी को दो वर्ष सात माह और 26 दिनों का समय लगा. इस वर्ष पंचमी की तिथि 17 दिसंबर को हो रही है. 


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राम विवाह का दृश्य वर्णन
अब कुछ देर के लिए गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री राम चरित मानस में लिखे गए श्री राम विवाह के दृश्य की कल्पना करके देखिए. उसका वर्णन तो शब्दों में किया ही नहीं जा सकता है. राजा जनक के दरबार की विशाल रंगशाला में व्यवस्थित ढंग से स्थापित शिव जी के विशाल धनुष को उठाने के लिए देश देशांतर के महाबली राजे महाराजे, विभिन्न राज्यों के राजकुमार ऋषि और मुनि आदि सब अपने अपने आसन पर विराजमान हैं, इसी बीच एक साधारण सा कुमार आता है जिसे देख महाबली राजा हंसने लगते हैं लेकिन यह क्या देखते ही देखते उस कुमार ने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई और शिव जी का धनुष टूट गया, मजाक उड़ाने वाले राजा उस कुमार की शक्ति और धैर्य को देख कर दंग रह गए. यह कुमार थे अयोध्या के महाराज दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम. बाद में धनुष भंग की सूचना पर महाराजा दशरथ अपने अन्य पुत्रों संग बारात लेकर जनकपुरी पधारे. मानस में गोस्वामी जी ने विवाहोपरांत बारात के भोज का वर्णन करते हुए लिखा, 


परुसन लगे सुआर सुजाना । बिंजन बिबिध नाम को जाना ⁠।⁠। 


चारि भाँति भोजन बिधि गाई। एक एक बिधि बरनि न जाई ⁠।⁠। 


छरस रुचिर बिंजन बहु जाती। एक एक रस अगनित भाँती ⁠।⁠। 


जेवँत देहिं मधुर धुनि गारी । लै लै नाम पुरुष अरु नारी ⁠।⁠।


इतने तरह के स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ परोसे गए कि वर्णन ही असंभव, इतना ही नहीं इधर भोजन हो रहा है तो हर किसी का नाम लेकर जनकपुर की महिलाएं बरातियों की चुटकियां भी ले रही हैं. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)