Navratri 2022 Maa Skandmata: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पांचवे दिन माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है. इस दिन मां की उपासना करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और हर असंभव कार्य संभव हो जाते हैं. मां स्कंदमाता असुरों का सर्वनाश करने के लिए प्रकट हुई थीं. माता का यह स्वरूप अत्यंत दयालु माना जाता है. माता ने भगवान स्कंद को अपने गोद में लिया है, इसलिए माता के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा गया है. मां की चार भुजाएं हैं. ऊपर की दोनों भुजाओं में कमल पुष्प विराजमान है और नीचे की दोनों भुजाएं वर मुद्रा में है.


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तारकासुर ने की कठोर तपस्या


पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर नाम के एक असुर ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की. सैकड़ों वर्ष कठोर तपस्या करने के बाद ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए. तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा. इस पर ब्रह्म जी ने तारकासुर को समझाया कि जन्म लेने वाले को आखिरकार मरना ही पड़ता है, क्योंकि ये संसार ही नश्वर है. इस पर तारकासुर ने शिवजी के पुत्र के हाथों मृत्यु का वरदान मांगा.


ब्रह्मा जी से मांगा ये वरदान


तारकासुर को उस समय लगा था कि शिवजी तो कभी विवाह नहीं करेंगे. ऐसे में उनका पुत्र भी नहीं होगा और वह हमेशा अमर बने रहेगा. ब्रह्मा जी ने तारकासुर को अमरता का वरदान दे दिया. वरदान मिलने के बाद तारकासुर सब पर अत्याचार करने लगा.


भगवान शंकर ने किया मां पार्वती से विवाह 


सभी ने अत्याचार से परेशान होकर शिवजी से प्रार्थना की कि तारकासुर से मुक्ति मिले. इसके बाद भगवान भोलेशंकर का पार्वती से विवाह हुआ और कार्तिकेय का जन्म हुआ.  वहीं, मां पार्वती ने स्कंदमाता का स्वरूप धारण किया और अपने पुत्र कार्तिकेय को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया.  कार्तिकेय ने बड़ा होने पर राक्षस तारकासुर का वध किया. भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण ही मां शक्ति को स्कंदमाता कहा जाता है. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)