Navratri Puja Rules: मां आदिशक्ति के उपासना का पर्व नवरात्रि का आरंभ 26 सितंबर से हो रहा है. इसका समापन 5 अक्टूबर को होगा. भक्तों को नवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दौरान वह पूरे नौ दिन मां भगवती के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूरी भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करते हैं. नवरात्रि को लेकर लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. ऐसा न करने से पूजा सफल नहीं मानी जाती और मां का आशीर्वाद नहीं मिलता है.


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विधिवत पूजा


अक्सर लोग नवरात्रि के दौरान व्रत रखते हैं. वहीं, कई लोग व्रत नहीं रख पाते हैं. ऐसे में वह पूजा भी नहीं करते. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि व्रत न रखने पर भी मां की अराधना की जा सकती है. हालांकि, इस दौरान पूजा पूरे विधिवत तरीके से की जानी चाहिए.


दूर्वा घास


अक्सर लोग पूजा में दुर्वा घास का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन नवरात्रि में मां आदिशक्ति की पूजा के दौरान तुलसी या दूर्वा घास अर्पित न करें. ऐसा करने से पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है. नवरात्रि में पूजा स्थल के दोनों दरवाजों पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. इसके लिए रोली या कुमकुम का इस्तेमाल करें.


दुर्गा सप्तशती पाठ


नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें. इसके साथ ही कवच, कीलक अर्गला का पाठ भी जरूर किया जाना चाहिए. अगर 1 से 13 अध्याय का पाठ हर दिन नहीं हो पाए तो हर दिन कम से कम एक चरित्र का पाठ करें.


फल का भोग


नवरात्रि के दौरान मां शक्ति को भोग के रूप में रोजाना फल जरूर अर्पित करें. इन फलों को भोग लगाने के बाद कन्याओं को बांट दें. इसके साथ ही कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजन करें और उन्हें भोजन जरूर कराएं. 



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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)