Navratri 2023: नवरात्रि संपूर्ण हिंदू समाज पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाता है. यूं तो वर्ष में चार नवरात्रि होते हैं जिनमें से दो गुप्त रहते हैं और अन्य में पहला शारदीय नवरात्रि तथा दूसरा चैत्र नवरात्रि जिससे विक्रमी संवत भी शुरू होता है. इस तरह दो नवरात्रि के पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं जिनमें घरों से लेकर मंदिरों तक में भव्य सजावट की जाती है. इस बार शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 15 अक्टूबर से है, आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ  माना जाता है.  नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना होती हैं. 


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अस्त्र-शस्त्रों का महत्व 
मां दुर्गा को भक्तों के लिए आशीर्वाद और शक्ति के स्रोत के रूप में माना जाता है. मां के चित्र या मूर्ति को तो आपने देखा ही होगा जिसमें वह विभिन्न शास्त्रों को लिए रहती हैं. देवी मां के इन अस्त्र-शस्त्रों का विशेष महत्व है, जिन्हें उनकी शक्ति का प्रतीक माना जाता है और जो उनके भक्तों को सुरक्षित रखने का कार्य करते हैं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मां दुर्गा के हाथों में मौजूद विभिन्न प्रकार के अस्त्र शस्त्रों का विशेष महत्व है. मां दुर्गा के अस्त्र-शस्त्र उनके अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप को प्रकट करते हैं. ये हथियार उनके अपने भक्तों को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं. 


त्रिशूल का महत्त्व 
मां दुर्गा का त्रिशूल उनके त्रिदेवी स्वरूप के साथ शक्ति का प्रतीक है. इसे उनके हाथ में होते हुए दिखाया जाता है और यह भक्तों को आत्मा की रक्षा करने का संकेत देता है. माता के हाथों में स्थित त्रिशूल के तीनो शूल सत्व, रजस और तमस गुणों के प्रतीक हैं. मां ने इन तीनों के संतुलन से ही सृष्टि का संचालन किया था. महिषासुर नामक राक्षस का वध भी इसी त्रिशूल से किया इसलिए उनका एक नाम महिषासुर मर्दिनी भी है. मान्यता है कि भोलेनाथ ने मां को यह त्रिशूल भेंट किया था.