Neem Karoli Baba ko kambal kyu chadhate hain: नीम करोली बाबा को इस युग का महान संत माना जाता है. उत्‍तराखंड स्थित कैंची धाम में बाबा नीम करौली कई वर्षों तक रहे और उनके इस आश्रम में देश-दुनिया के दिग्‍गज लोगों ने माथा नवाया. फिर चाहे फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग हों या एप्‍पल के को-फाउंडर स्‍टीव जाब्‍स. नीम करौली बाबा की सीख और चमत्‍कारिक किस्‍से देश-विदेश में मशहूर हैं. इसलिए बड़ी संख्‍या श्रद्धालू नीम करौली बाबा का आशीर्वाद पाने कैंची धाम आते हैं. नीम करोली बाबा हनुमानजी के परम भक्त थे लेकिन उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं. आमतौर पर मंदिरों-आश्रमों में लोग चढ़ावे में मिठाइयां, फल, पैसे आदि चढ़ाते हैं लेकिन कैंची धाम में भक्‍त कंबल चढ़ाते हैं. 


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क्‍या है कैंची धाम और कंबल की कहानी 


नीम करोली बाबा हर समय कंबल ओढ़कर रखा करते थे. कई दशक पहले इसी कंबल से जुड़ी एक घटना हुई, जिसके बाद से लोग कैंची धाम में कंबल चढ़ाने लगे. इस घटना का जिक्र नीम करोली बाबा के एक भक्‍त रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने अपनी किताब 'मिरेकल ऑफ लव' में किया है. 


इसमें रिचर्ड एलपर्ट ने बताया कि बाबा के भक्तों में फतेहगढ़ के एक बुजुर्ग दंपति भी शामिल थे. एक दिन बाबा अचानक इस बुजुर्ग दंपति के घर पर पहुंच गए और कहा कि आज रात वे उनके घर पर ही रुकेंगे. दंपत्ति बहुत खुश हुए लेकिन वे बेहद गरीब थे लिहाजा सोचने लगे कि वे बाबा का सत्‍कार कैसे करें. उन्‍होंने जैसे-तैसे भोजन का इंतजाम किया और फिर सोने के लिए बाबा को चारपाई और ओढ़ने के लिए कंबल दिया. बाबा सो गए तो बुजुर्ग पति-पत्‍नी भी वहीं चारपाई के पास सो गए. रात में बाबा कंबल ओढ़कर सो रहे थे और ऐसे कराह रहे थे कि जैसे उन्‍हें कोई मार रहा है. बड़ी मुश्किल से वह रात गुजरी. सुबह बाबा ने वह कंबल लपेट कर दंपत्ति को दिया और कहा कि इसे बिना खोले गंगा में प्रवाहित कर दिया. 


बुलेटप्रूफ कंबल ने बचाई बेटे की जान 


बाबा ने दंपत्ति को खाली कंबल दिया था लेकिन जब वे उसे गंगा में प्रवाहित करने ले जा रहे थे, तब वह इतना भारी हो गया जैसे कंबल के अंदर ढेर सारा लोहा हो. लेकिन बाबा ने कंबल खोलने से मना किया था इसलिए दंपत्ति ने उसे बिना खोले गंगा में प्रवाहित कर दिया. करीब एक महीने बाद इस दंपत्ति का बेटा सकुशल घर लौट आया. 


दरअसल, इस बुजुर्ग दंपत्ति का एक ही बेटा था और वह ब्रिटिश फौज में सैनिक था. दूसरे विश्वयुद्ध के समय वह बर्मा फ्रंट पर तैनात था. पति-पत्‍नी अपने बेटे की चिंता में व्‍याकुल रहते थे और चाहते थे कि वह सकुशल घर लौट आए. बाबा नीम करोली के घर में रात बिताने के एक महीने बाद बेटा वापस लौट आया. बेटे ने बताया कि करीब महीने भर पहले एक रात वह दुश्मन फौजों के बीच घिर गया था और रातभर गोलीबारी होती रही. इस युद्ध में उसके सारे साथी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया. बेटे ने कहा कि मैं कैसे बच गया यह मुझे भी मालूम नहीं. उसने कहा कि उसपर खूब गोलीबारी हुई लेकिन उसे एक भी गोली नहीं लगी. ये वही रात थी जब बाबा नीम करौली उसके घर में सो रहे थे और पूरी रात कराह रहे थे. 


तुरंत दंपत्ति बाबा नीम करोली के चमत्‍कार को समझ गया. इस घटना के कारण ही 'मिरेकल ऑफ लव' में रिचर्ड एलपर्ट ने इस कंबल को बुलेटप्रूफ कंबल कहा है. आज भी कैंची धाम स्थित मंदिर में बाबा के भक्त उन्‍हें कंबल चढ़ाते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से मनोकामना पूरी हो जाती है. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)