Nirjala Ekadashi 2023 Date: वैसे तो सालभर कई एकादशी मनाई जाती है, क्योंकि हर महीने 2 एकादशी पड़ती है. इनमें से एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में. हालांकि, ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी सबसे अधिक महत्व है और इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इस एकादशी का काफी महत्व है. इस दिन पानी पीना भी वर्जित होता है, इसलिए इस व्रत को काफी कठिन माना जाता है. इस दिन अगर पूरे विधि-विधान से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा-अर्चना की जाए तो उनका साल भर आशीर्वाद प्राप्त होता है.


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तिथि


हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार एकादशी तिथि की शुरुआत 30 मई, मंगलवार के दिन दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से हो रही है. वहीं, इसका समापन 31 मई, बुधवार दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई के दिन रखा जाएगा.


चावल


निर्जला एकादशी के दिन ब्रहम्चर्य का पालन करें. किसी के साथ वाद-विवाद, बहस या झगड़ा न करें. इस दिन तामसिक भोजन और मदिरा पान से दूर रहें. यहां तक कि इस तरह का भोजन तक न पकाएं. निर्जला एकादशी के दिन चावल खाने से परहेज करना चाहिए. वहीं, बैंगन, शलगम और गाजर से भी दूरी बनाकर रखें.


झाड़ू


निर्जला एकादशी के दिन झाड़ू नहीं लगाया जाता है. ऐसान करना अशुभ माना जाता है. इसके पीछे वजह है कि झाड़ू-पोछे से फर्श पर रेंग रहे छोटे कीट मर सकते हैं. एकादशी के व्रत में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. पूजा के लिए तुलसी के पत्ते चाहिए तो एक दिन पहले ही तोड़ सकते हैं. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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